रसगुल्ले की जड़ (तेनालीराम की कहानी) | Rasgulle Ki Jad Tenali Rama ki Kahani
एक समय विजय नगर में एक शेख व्यापारी आता है। इस व्यापारी के स्वागत के लिए महाराजा ने महल के सभी कर्मचारियों को आदेश दिया कि “व्यापारी की आवभगत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए उसके रहने खाने-पीने का सारे इंतजाम हो जाना चाहिए। महाराज ने रसोइए को खासकर कहा कि व्यापारी के भोजन के लिए प्रत्येक समय अलग-अलग पकवान और मिठाइयां बननी चाहिए।”
महाराज का आदेश पाकर व्यापारी के लिए महल में सारी व्यवस्थाएं कर दी गई और रसोईयां व्यापारी के लिए प्रत्येक समय अलग-अलग पकवान बनाकर खिलाता था।
एक दोपहर रसोइए ने व्यापारी के लिए रसगुल्ले बनाए। व्यापारी रसगुल्ले खा कर बहुत प्रसन्न हुआ और उसे रसगुल्ले बहुत पसंद आए। व्यापारी ने रसोइए को बुलाया और पूछा “इस रसगुल्ले की जड़ क्या है?” रसोईया व्यापारी की बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गया कि भला रसगुल्ले की जड़ क्या हो सकती है?
धीरे-धीरे यह बात पूरे महल में फेल गई। किंतु किसी के पास भी व्यापारी के प्रश्न का कोई जवाब नहीं था। सेवको ने व्यापारी का प्रश्न महाराजा तक पहुंचाया। महाराज भी व्यापारी का प्रश्न सुनकर आश्चर्य में पड़ गए भला रसगुले की जड़ क्या हो सकती है? कुछ समय सोच विचार करने के पश्चात महाराज ने अपने सबसे चतुर मंत्री तेनालीरामा को बुलवाया और तेनाली रामा को व्यापारी के प्रश्न रसगुल्ले की जड़ क्या है? का उत्तर ढूंढने के लिए कहा।
तेनाली रामा ने महाराज की चुनौती को स्वीकार किया और महाराज से मांग की कि उन्हें एक छुरी, एक कटोरा और एक दिन का समय चाहिए। अगले दिन तेनाली रामा उस कटोरे को एक कपड़े से ढककर राज दरबार में व्यापारी के सामने ले आए और व्यापारी से कहा कि “आप इस कपड़े को हटाइए और आपको आपके प्रश्न का जवाब मिल जाएगा।”
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व्यापारी समेत संपूर्ण दरबार यह जानने को उत्सुक था कि रसगुल्ले की जड़ क्या होती है? जैसे ही व्यापारी ने कटोरे के ऊपर से कपड़ा हटाया तो व्यापारी समेत पूरा दरबार आश्चर्यचकित हो गया क्योंकि उस कटोरे में गन्ने के चार पांच छोटे-छोटे टुकड़े थे। तभी तेनालीरामा ने सबको समझाया कि प्रत्येक मिठाई शक्कर से बनती है और शक्कर गन्ने से बनती है। अतः रसगुल्ले की जड़ गन्ना है।
संपूर्ण दरबार और महाराजा कृष्णदेव राय तेनालीरामा की बात सुनकर हंस पड़े और तेनालीरामा की चतुराई की सराहना की।
शिक्षा: हमें किसी भी परिस्थिति में चिंतित नहीं होना चाहिए बल्कि शांति से सोच विचार कर उस परिस्थिति का हल ढूंढना चाहिए।
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