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पापी कौन? (बेताल पच्चीसी पहली कहानी)

पापी कौन? (बेताल पच्चीसी पहली कहानी) | Paapi Kaun Vikram Betal ki Kahani

किसी जंगल में एक बेताल नामक पच्चीसी का बहुत ही प्रकोप फैला हुआ था। उस जंगल में जो भी जाता उसे बेताल पच्चीसी डरा कर भगा देता। फिर सभी गांव वालों ने राजा विक्रमादित्य से आग्रह किया कि वह उस बेताल से लोगों को किसी तरह से छुटकारा दिलाएं।

राजा विक्रमादित्य ने जंगल में जाकर बहुत ही मेहनत की और फिर एक दिन उस बेताल पच्चीसी को पकड़ लिया और अपने कंधे पर लाद लिया और उससे कहा कि, “अब मैं तुम्हें श्मशान ले जाऊंगा और तुम्हें वहीं छोड़ दूंगा।”

बेताल पच्चीसी बहुत डर गया था और उसने कहा कि,”मैं तुम्हें एक कहानी बताता हूं, जिसमें आपको सही जवाब देना होगा” अगर आपने सही जवाब नहीं दिया तो मुझे छोड़ना पड़ेगा। राजा विक्रमादित्य ने कहा, “ठीक है, तुम कहानी सुनाओ।” फिर बेताल पच्चीसी ने कहानी सुनानी शुरू की और इस बार कहानी थी-पापी कौन?

Paapi Kaun Vikram Betal ki Kahani

पापी कौन? (बेताल पच्चीसी पहली कहानी)

एक समय की बात है। काशी के राज्य में एक राजा रहता था, जिसका नाम प्रताप मुकुट था। उसका एक संतान भी था, जिसका नाम वज्र मुकुट था। राजकुमार वज्र मुकुट के बहुत अच्छे और चतुर मित्र थे, जो उस राज्य के दीवान के पुत्र भी थे।

एक बार की बात है। दोनों दोस्त शिकार खेलने जंगल में गए। जंगल में घूमते हुए उसे बहुत प्यास लगी। दोनों ने एक तालाब देखा और उसके पास जाकर पानी ले लिया। तब उन्होंने उस तालाब में कमल खिलते देखा और देखा कि बहुत से पशु-पक्षी, हंस उड़ रहे थे।

ये सब दृश्य देखकर दोनों दोस्त बहुत खुश हुए और उस तालाब में हाथ धोकर और पास में ही उन्होंने महादेव का एक मंदिर देखा। उन्होंने अपने घोड़े को महादेव के मंदिर के नीचे बांध दिया था। फिर जब दोनों दोस्त महादेव के दर्शन करके बहार आ रहे थे, तो उसने देखा कि उस तालाब में एक सुंदर राजकुमारी आई है और अपने दोस्तों के साथ स्नान करने जा रही है।

राजकुमारी को देखकर राजकुमार उस पर मोहित हो गया और राजकुमारी से मिलने चला गया। राजकुमारी और राजकुमार ने जब एक दूसरे को देखा तो दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए। जबकि उसका दोस्त जो दीवान का बेटा था, नहीं गया। वह वहीं एक पेड़ के नीचे बैठ गया और इंतजार करने लगा।

राजकुमार को देखते ही राजकुमारी ने वहां से एक कमल लिया और उस फूल को निकाल कर अपने कान में लगा लिया। फिर दाँतों से काटकर पैरों के नीचे दबा कर छाती पर रखकर सहेली के साथ चली गई।

उनके जाने के बाद राजकुमार बहुत दुखी हुआ और अपने दोस्त के पास आया और सारी बात बताई। राजकुमार ने कहा, “मुझे राजकुमारी बहुत पसंद है। मैं उसके बिना नहीं रह सकता। लेकिन मैं उस राजकुमारी के बारे में कुछ नहीं जानता। वह कहाँ रहती हैं? उसका नाम क्या है? मुझे तो कुछ मालूम नहीं।”

दीवान के बेटे ने सारी बात सुनी और राजकुमार को आशा दी और कहा कि, “राजकुमार को अब चिंता क्यों है?, राजकुमारी ने तुम्हें सब कुछ बता दिया है” राजकुमार आश्चर्य से कहता है, “उसने मुझे कुछ नहीं बताया। आपको कैसे लगता है कि उसने मुझसे कुछ कहा”

तब उसके मित्र ने कहा कि, “राजकुमार तुम राजकुमारी ने कमल के फूलों को निकालकर अपने कानों में लगाया, यानी राजकुमारी यह बताने की कोशिश कर रही थी कि वह कर्नाटक की है। फूल को दांतों से काटने का अर्थ है कि उसके पिता का नाम दंतवत है। फूल को पैर से दबाने का मतलब है कि राजकुमारी का नाम पद्मावती है और छाती पर फूल लगाने का मतलब है कि आप उनके दिल में बस गए हैं।”

यह सुनकर राजकुमार बहुत प्रसन्न हुए। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था और उसने खुश होकर अपने दोस्त से कहा कि अब मुझे कर्नाटक जाना है और उस राजकुमारी से मिलना है।

मुझे तुरंत वहाँ ले चलो। कई दिनों तक चलने के बाद दोनों दोस्त एक दिन कर्नाटक पहुँचे। जब दोनों दोस्त महल के पास पहुंचे तो उन्होंने एक बुज़ुर्ग औरत को देखा, जो चरखा चला रही थी। उसे देखकर दोनों उसके पास गए और अपने घोड़े से नीचे उतरे और कहा कि “माई, हम दोनों बहुत दूर से आए हैं। हम दोनों व्यापारी हैं और हमारा माल पीछे से आ रहा है।”

“हमें आपके घर में कुछ दिनों के लिए आश्रय की आवश्यकता है।” उसकी बातें सुनकर महिला ने कहा कि,” तुम मेरे बेटे के समान हो। मुझे आपको देखकर बहुत प्रेम आ रहा है। आप इसे अपना घर मानकर ही यहां रह सकते हैं। आप जब तक चाहें यहां आराम से रह सकते हैं।”

इसके बाद दोनों उस घर में रहने लगे। इसी बीच उसके दोस्त ने उस बुढ़िया से पूछा कि, “तुम क्या काम करती हो मां? तुम यहाँ कौन हो? और आप अपना जीवन यापन कैसे करते हैं”?

बुढ़िया धीरे-धीरे उसके सारे सवालों का जवाब देने लगी। उस ने कहा, “मेरा एक पुत्र है, जो यहां राजभवन में दास का काम करता है और मैं उनकी पुत्री पद्मावती की दासी हूं। बूढी होने के कारण मैं घर पर ही रहता हूं। महाराज मुझे खाना देते हैं और मैं दिन में एक बार राजकुमारी से मिलने जाती हूं।”

यह सुनकर राजकुमार ने बुढ़िया को कुछ पैसे दिए और उसने कहा कि “तुम्हें मेरा एक संदेश राजकुमारी को देना है।” राजकुमार ने वृद्ध महिला से कहा कि “तुम कल जब राजकुमारी के पास जाओगे, तो उससे कहना कि सेठ सुदी पंचमी को जो तुम्हें तलाब के पास राजकुमार दिखा था, वो राजकुमार तुम्हारे राज्य में आ गया है, इतना ही कहना।

अगले दिन जब बूढ़ी माँ राजकुमारी से मिलने गई तो उसने राजकुमारी को राजकुमार का सन्देश दिया। जैसे ही बूढ़ी माँ ने राजकुमारी को राजकुमार का सन्देश सुनाया। राजकुमारी को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने हाथों में सफेद चंदन रखा और उसके गाल पर थप्पड़ मारकर कहा कि “अब इस महल से निकल जाओ”।

बुढ़िया घर आई और राजकुमार को सारी बात बताई। बूढ़ी माँ की बातें सुनकर राजकुमार हैरान रह गया तब राजकुमार के मित्र ने उससे कहा कि “राजकुमार, धैर्य रखो। तुम चिंता क्यों कर रहे हो? राजकुमारी की बातों को समझने की कोशिश करें।”

“ध्यान से देखिए राजकुमारी ने हाथों में सफेद चंदन लगाकर बूढ़ी मां के गाल पर वार किया है। यानी कुछ दिनों बाद चांदनी रात होगी। उनके खत्म होने के बाद यह एक अंधेरी रात होगी, जिसमें वो आकर आपसे मिलेंगी।”

फिर जब कुछ दिनों बाद चांदनी रात खत्म हुई। फिर उस बूढ़ी माँ को फिर से उस राजकुमारी को सन्देश लेकर राजभवन भेज दिया गया। इस पर राजकुमारी ने अपनी उँगलियों से भगवा रंग डुबोया और बूढ़ी माँ के मुँह पर मारा “यहाँ से भागो, बस महल से निकल जाओ।”

बुढ़िया राजकुमार को विस्तार से सब कुछ समझाती है। यह सुनकर राजकुमार फिर उदास हो जाता है। इस बार उसके दोस्त ने कहा “राजकुमार इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। तुम चिंता क्यों कर रहे हो?, राजकुमारी ने कहा है कि अभी उसकी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं तीन-चार दिन बाद ही मिलूंगी। तो अब रुक जाओ, तीन-चार दिन बाद फिर बुढ़िया उस राजकुमारी के साथ महल में जाती है।”

इस बार फिर राजकुमारी ने महिला को बहुत डांटा और पश्चिम की खिड़की से बाहर जाने का इशारा करते हुए उसे भगा दिया। बुढ़िया फिर राजकुमार को सब कुछ विस्तार से बताती है। यह सुनकर राजकुमार फिर उदास हो जाता है। इस बार उसके दोस्त ने कहा “राजकुमार इसमें चिंता की कोई बात नहीं है”।

आपको राजकुमारी ने उस पश्चिम की खिड़की पर बुलाया है। यह सुनकर राजकुमार को बहुत उत्सुकता हुई और खुशी से फूलों नहीं समाया। ऐसी बात सुनकर राजकुमार ने बुढ़िया को ढेर सारे पैसे और कपड़े दिए।

तब राजकुमार ने एक महिला का रूप धारण किया, गहने पहने और फिर हथियार बांधकर राजकुमारी से मिलने चला गया। जब वह राजकुमारी के महल में पहुंचा तो खिड़की से राजकुमारी के कमरे में पहुंचा। राजकुमारी वहाँ बहुत सजी हुई बैठी थी और राजकुमार की प्रतीक्षा कर रही थी।

राजकुमार ने जैसे ही उस कमरे में प्रवेश किया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। राजकुमारी के कमरे में कई महंगी चीजें, रत्न सभी चीजें रखी थीं। राजकुमार और राजकुमारी रात भर एक ही कमरे में साथ रहे और सुबह होते ही राजकुमारी ने राजकुमार को उस कमरे में कहीं छुपा दिया और रात होते ही राजकुमार को राजकुमारी बाहर निकाल देती।

इस तरह कई दिन बीत गए और राजकुमार और राजकुमारी एक दूसरे के साथ रह रहे थे और इसी तरह दिन बीते जा रहा था। एक दिन अचानक राजकुमार को अपने दोस्त की याद आई। राजकुमार को अपने दोस्त की चिंता होने लगी, न जाने उसका दोस्त कहां है, वह कैसा है और उसकी क्या हालत होगी?

जब राजकुमारी ने राजकुमार को चिंतित देखा तो राजकुमारी ने इसका कारण पूछा। उसके बाद राजकुमार ने राजकुमारी को अपने मित्र के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। राजकुमार ने कहा कि “मेरा जो मित्र है, वह बहुत ही होशियार और बहुत ही अच्छा है। उसी के वजह से तो मैं तुमसे मिल पाया हूं।”

यह सुनने के बाद राजकुमारी बहुत ही आश्चर्य पड़ गई और उसने कहा कैसे? तो राजकुमार ने राजकुमारी को कहा कि “तुमने जो भी इशारे देकर मुझसे सारी बातें कहीं और सारी बातों को तो मेरे दोस्त ने सुलझा कर मुझे समझाया था।”

तो राजकुमारी बहूत खुश होकर कहती है कि “आपके दोस्त बहुत ही अच्छे हैं। मैं उसके लिए बहुत ही स्वादिष्ट भोजन बनाती हूं। आप उसे भोजन करा कर वापस आ जाइएगा।” फिर राजकुमार खाना लेकर अपने दोस्त के पास पहुंचा दोनों मित्र कई महीनों के बाद एक दूसरे से मिले थे। मिलने के बाद राजकुमार ने अपने मित्र को सारी बातें विस्तार पूर्वक बताएं।

राजकुमार ने कहा “मैंने राजकुमारी को तुम्हारी चतुराई के बारे में बताया है। राजकुमारी ने तुम्हारे लिए को अपने हाथों से बनाकर भोजन भेजा है।” यह सुनकर उसका मित्र तो सोच में पड़ गया। उसने राजकुमार से कहा कि “यह तुमने ठीक नहीं किया। राजकुमारी समझ गई कि जब तक मैं तुम्हारे साथ रहूंगा, तब तक मैं आपको अपने वश में नहीं रख पाएगी।”

“इसलिए उन्होंने इस खाने में जहर डाल कर भेजा है। इसे मैं साबित करके आपको दिखाता हूं।” उसने उस खाने में से एक लड्डू निकाल कर एक कुत्ते को दे दिया, जिसको खाते ही उस कुत्ते की मृत्यु हो गई।

यह देखते ही राजकुमार बहुत ही क्रोधित हो गया। उसने कहा कि “मुझे ऐसे ही औरतों के पास नहीं जाना है। मुझे ऐसी औरतों से भगवान ही बचाए। अब मैं राजकुमारी के पास कभी नहीं जाऊंगा।”

उसके मित्र ने कहा “राजकुमार आप ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे। हमें तो कुछ ऐसा तरकीब निकालना चाहिए, जिससे कि वह हमारे साथ हमारे राज्य में हमारे महल में जाकर रहे। आज रात आप वहां पर जाएंगे और राजकुमारी जब सो रही होगी। तब आप उसके बाएं जांघ पर एक त्रिशूल का निशान बना देंगे और फिर उसके गहने को लेकर आजाइएगा”।

राजकुमार ने अपने मित्र के कहीं भी बात के अनुसार सारे कार्य किए और फिर अपने मित्र के पास आ गया।

अब उसके मित्र ने एक योगी का रूप धारण किया और उसने राजकुमार से कहा कि “गहने को बाजार में बेचने के लिए। अगर कोई पकड़े तो कहना कि मेरे गुरु ने मुझे यह दिया है और उसे मेरे पास ले आइएगा।”

राजकुमार ने वे गहने बेचने के लिए एक सुनार के पास गया। सुनार ने गहने को देखते ही पहचान लिया कि यह तो राजकुमारी का गहना है और उसने तुरंत कोतवाल बुलाकर राजकुमार से सवाल पूछे।

राजकुमार ने कहा “यह मुझे मेरे गुरु दिए हैं।” यह सुनते ही कोतवाल ने गुरु यानी कि उसका जो मित्र था, उसे पकड़ लिया और राजदरबार में ले गया। राजा ने जब पूछा कि “योगी महाराज आपको यह बेशकीमती गहने कैसे मिले”। योगी के रूप में जो उसका मित्र जो कि दीवान का बेटा था।

उसने कहा “महाराज मैं श्मशान में काली चौदस की रात को डाकिनी मंत्र प्राप्त कर रहा था। तभी मेरे सामने एक डाकिनी आई। मैंने उसके उसके गहने उतार लिए और उसकी बाएं जांघ पर त्रिशूल का छाप बना दिया।”

यह बात सुनते ही राजा आश्चर्य में पड़ा और वह अपने महल में जाकर अपनी रानी से कहा कि “तुम राजकुमारी पद्मावती की बाई जांघ में देखो, कहीं वहां पर त्रिशूल का छाप तो नहीं है।” राजा की बात सुनते ही रानी ने अपनी राजकुमारी की बाई जांघ पर देखा तो वहां पर सच में त्रिशूल का निशान था।

यह जानकर राजा बहुत ही दुखी हो गया। फिर राजा योगी के पास आया और कहा कि “योगी बताओ, धर्मशास्त्र में बुरा औरतों के लिए क्या सजा बनाई गई है?”

राजकुमार का दोस्त जोकि योगी बना हुआ था। उसने जवाब दिया कि “हे महाराज, जो भी आपके राज्य में या दूसरे के राज्य में ब्राह्मण हो, स्त्री हो, लड़का हो, प्रजा हो, राजन हो। अगर उससे कोई भी गलत काम हो गया हो तो उसे सजा के रूप में देश से निकाल दिया जाता है।”

यह सुनते ही महाराज ने अपनी पुत्री पद्मावती को तुरंत अपने राज्य से निकलवा कर राज्य जंगल में छोड़ आने का आदेश दे दिया। राजकुमार और उसका दोस्त दोनों तो पहले से ही जंगल में जा कर बैठे थे और वह इंतजार कर रहे थे कि कब रानी अकेली उस जंगल में मिले और जैसे ही रानी उसे जंगल में अकेली मिली, उसे अपने साथ अपने नगर ले गए और वहां पर वह दोनों आनंद से रहने लगे।

जैसे ही कहानी खत्म हुई बेताल पच्चीसी ने विक्रमादित्य राजा से पूछा “तो राजन बताओ इस कहानी में पापी कौन है?” जल्दी बताओ, राजन नहीं तो मैं तुरंत तुम्हारे कंधे से उड़ जाऊंगा”। विक्रमादित्य ने उत्तर दिया कि “पापी राजा था क्योंकि राजकुमार का मित्र अपने मालिक का काम कर रहा था।”

कोतवाल ने राजा का कहना सुना और राजकुमारी को जंगल में छोड़ आया। राजकुमार ने अपनी इच्छा पूरी की लेकिन इस कहानी में राजा पापी निकला। उसने बिना सोचे समझे राजकुमारी को अपने राज्य से बाहर निकलवा दिया।

विक्रमादित्य के इतना कहने पर ही बेताल पच्चीसी सोच में पड़ गया और उसने कहा कि “मैं आपको दूसरा कहानी सुनाता हूं।”

सीख: इस कहानी से हमें एक सीख मिलती है कि परिस्थिति कैसी भी हो लेकिन सबसे पहले हमें किसी भी निर्णय पर विचार करने से पहले बहुत सोचना चाहिए। अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। हमें कोई भी कार्य किसी के प्रभाव में नहीं करना चाहिए।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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