Maharana Pratap Ko Kisne Mara: महाराणा प्रताप को संपूर्ण भारत देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में भी जाना चाहता है क्योंकि माना प्रताप भारत के एकमात्र ऐसे राजा थे, जिन्होंने अपने अंतिम सांस तक मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।
महाराणा प्रताप को भारत में स्वाभिमानी तथा स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। महाराणा प्रताप अपने बल, बुद्धि तथा शौर्य वीरता के लिए जाने जाते हैं। महाराणा प्रताप की ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वे भारी-भरकम कवच पहनते थे तथा 70 किलो का भला अपने हाथ में रखा करते थे।
महाराणा प्रताप का इतिहास भले ही आज के समय किताबों में नहीं पढ़ाया जा रहा है लेकिन महाराणा प्रताप जैसे शूरवीर योद्धा जिन्होंने खुद अपनी तलवार से और अपने रक्त से इतिहास लिखा हो, उन्हें किसी इतिहास के पन्नों की आवश्यकता नहीं है। महाराणा प्रताप की घोड़े सहित मूर्तियां जगह-जगह चौराहे पर दिखाई देती है।
लोगों के मन में महाराणा प्रताप के प्रति अत्यंत सम्मान है। महाराणा प्रताप ने हमेशा स्वतंत्र तथा स्वाधीनता के साथ अपनी मातृभूमि को आजाद रखने के लिए लड़ाई लड़ी थी। महाराणा प्रताप आखिरी सांस तक मुगलों के सामने नहीं झुके।
महाराणा प्रताप को किसने मारा? | Maharana Pratap Ko Kisne Mara
महाराणा प्रताप कौन थे?
महाराणा प्रताप 15वीं शताब्दी के दौरान राजस्थान की सबसे बड़ी और शक्तिशाली रियासत मेवाड़ के राजा राणा उदय सिंह के पुत्र थें। महाराणा प्रताप बचपन से ही अत्यंत शक्तिशाली और निडर बालक थें। राणा प्रताप ने बचपन से ही युद्ध में भाग लेना शुरू कर दिया था तथा कम आयु में ही उन्होंने मुगलों से युद्ध करने शुरू कर दी है।
शुरुआती दिनों से ही माना प्रताप मुगलों के खिलाफ थें। उन्हें मुगलों का शासन बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसीलिए उन्होंने अपने आखिरी समय तक मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की तथा लाखों की संख्या में मुगलों की फौज को अपनी आखिरी सांस तक धूल चटा दे रहे।
पराक्रमी सूर्य वीर योद्धा महाराणा प्रताप 1 मार्च 1553 को मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठे थे, जिसके बाद उन्होंने मुगलों को कभी आगे नहीं बढ़ने दिया। बता दें कि 9 मई 1540 को जन्मे महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने अपनी सबसे छोटी पत्नी के बेटे जगमाल को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।
लेकिन मेवाड़ के सामंत एवं संपूर्ण मेवाड़ की प्रजा महाराणा प्रताप को अपना राजा बनाने की इच्छा जताई। इसलिए महाराणा प्रताप ने मेवाड़ का राज्य भार संभाला। जिसके बाद उनके जीवन के आखिरी सांस तक उन्हें संघर्ष ही देखना पड़ा। यहां तक कि महाराणा प्रताप ने राजशी ठाट बाट छोड़कर जंगलों में निवास किया और घास की रोटी खाई।
महाराणा प्रताप को किसने मारा
महाराणा प्रताप 15 सदी के दौरान राजस्थान के मेवाड़ रियासत के राजा थे। उनका पूरा नाम प्रताप सिंह हैं लेकिन उन्हें बेहतरीन कार्यों के लिए महाराणा की उपाधि दी गई। मेवाड़ के अब तक के सभी सिसोदिया राजवंश में केवल प्रताप सिंह को ही यह उपाधि मिली है। जबकि दूसरे सभी शासकों को राणा की उपाधि मिलती थी।
महाराणा प्रताप को किसी ने भी नहीं मारा बल्कि उनकी मौत एक हादसे के कारण हुई। दरअसल जब वे धनुष की डोर खींचकर युद्ध का अभ्यास कर रहे थें। इसी दौरान धनुष की डोर खींचते समय उनकी आंत में चोट लग गई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। महाराणा प्रताप की मृत्यु 57 वर्ष की उम्र में सन 1597 को 29 जनवरी के दिन हुई।
महाराणा प्रताप और अकबर
दिल्ली के मुगल शासक अकबर अपनी चतुराई से एक-एक करके सभी राजपूत राजाओं को अपनी और कर रहा था। लगभग अकबर के सभा में सभी बड़े पदों पर राजपूत तथा हिंदू राजाओं को बैठा दिया गया। अकबर अपनी चालाकी से सभी युद्ध में राजपूत राजाओं को ही भेजता था। उन्हें पता था कि राजपूत राजा काफी ताकतवर होते हैं तथा दोनों को ही आपस में लड़ा कर युद्ध जीता जाए।
अकबर ने महाराणा प्रताप को झुकाने के लिए हर संभव प्रयास किए तरह-तरह के युद्ध किये थे। तरह-तरह के योद्धाओं को राणा प्रताप को मारने के लिए भेजा, लेकिन हर बार अकबर को असफलता ही हाथ लगी। आखिरी सांस तक महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और अंत में उनकी मृत्यु होने पर अकबर ने भी आंसू बहाए थे।
निष्कर्ष
महाराणा प्रताप एक पराक्रमी योद्धा थे, जो अपने शौर्य वीरता के लिए जाने जाते हैं। महाराणा प्रताप हमेशा अपनी मातृभूमि को अपने रियासत को अपने लोगों को अपने आप को मुगलों से स्वतंत्र रखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अकबर के प्रत्येक प्रस्ताव को ठुकराया एवं अंतिम समय तक मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।
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