स्त्री-भक्त राजा (King Who Loved His Wife Story In Hindi)
एक बहुत बड़े राज्य का राजा नंद थे। वे बहुत पराक्रमी राजा थे। उनका यश और कीर्ति चारों ओर फैली हुई थी। अन्य राज्यों के राजा उनकी जय-जयकार करते थे। नंद का राज्य इतना बड़ा था कि उनके राज्य का एक छोर समुंद्र तक था और दूसरा छोर पर्वत तक। राजा नंद का एक मंत्री वररुचि था। वह सभी विद्याओं में निपुण और कुशल मंत्री था।
एक दिन किसी कारण वंश वररुचि की पत्नी नाराज हो गई। वररुचि ने उसको मनाने के लिए अथक प्रयास किए किंतु वह मानने का नाम भी नहीं ले रही थी। थक हारकर वररुचि ने अपनी पत्नी से कहा “हे प्रिय! तू जो आदेश करेंगी मैं वह करूंगा, मैं तुम्हारी हर आज्ञा का पालन करूंगा, बस तुम प्रसन्न हो जाओ।”
पत्नी ने कहा “यदि तुम अपना सर मुंडवा कर मेरे पैरों में गिर कर माफी मांगो तो मैं तुम्हें माफ करूंगी।”
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वररुचि ने ऐसा ही किया जैसा उसकी पत्नी ने कहा और उसकी पत्नी प्रसन्न हो गई।
उसी दिन राजा नंद की पत्नी भी राजा से रूठ गई। नंद ने पत्नी से कहा “प्रिय तुम्हारी अप्रसंता का मतलब मेरी मृत्यु है। तुम्हारी प्रसंता के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूं। तुम बस आदेश करो।”
नंदपत्नी बोली “मैं चाहती हूं कि तेरे मुंह पर लगाम डालकर तुझ पर सवार हो जाऊं और तुझे घोड़े की तरह दौड़ाउ।”
राजा ने उसकी इच्छा पूरी कर दी जिसके कारण वह प्रसन्न हो गई।
अगले दिन जब वररुचि राज सभा में पहुंचा तो राजा ने पूछा कि उसने किस पुण्य काल में अपना सर मुंडवाया है।
वररुचि ने कहा “राजन! जिस काल में पुरुष अपने मुंह में लगाम लगाकर घोड़े की तरह दौड़ रहे थे उस काल में मैंने अपने सर मुंडवाया है।”
राजा ने जब यह सुना तो वह बहुत ही लज्जित हुआ।
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