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जितनी चादर हो उतना ही पैर पसारना (अकबर बीरबल की कहानी)

जितनी चादर हो उतना ही पैर पसारना (अकबर बीरबल की कहानी) – Jitni chadar ho utna hi per pasarana

बादशाह अकबर के दरबार में एक दिन बीरबल को आने में देर हो जाती हैं तो बादशाह अकबर के दरबार के अन्य दरबारी जो बीरबल से ईष्या रखते थे। बादशाह अकबर को बीरबल के खिलाफ बोलने लगते है।

बादशाह अकबर आप बीरबल के चक्कर में फस गऐ हैं। बीरबल कोई चतुर नहीं है। बस वह आपको अपने बातों से उलझाया हुआ रखता है।

बादशाह अकबर समझ गए “सभी दरबारियों को बीरबल की चतुराई से ईष्या है।”

 Jitni chadar ho utna hi per pasarana
Jitni chadar ho utna hi per pasarana

बादशाह अकबर ने सभी दरबारियों की बातें सुनकर बोले “मैं सभी दरबारियों को एक मौका देता हूँ। आप सभी मेरे सामने बीरबल की सच्चाई अर्थात् बीरबल मुझे बातों में फसा कर ख़ुद को चतुर साबित करता है। उसका भेद खोल कर देखा दे तो ही मैं मानूँगा कि बीरबल चतुर नहीं है।”

सभी दरबारियों ने कहा “जहांपनाह! आप निश्चित रहे, हम सब संभाल लेंगे।”

बादशाह अकबर मुसकराते हुए कहा “मेरे पास तुम्हारे लिए एक असाधारण सवाल है। जो इस सवाल का जबाव देगा वह दरबारी चतुर होगा।”

बादशाह अकबर का सवाल अक्सर पहेलियों से भरा हुआ होता है। जिस सिर्फ़ बीरबल ही समझ सकते थे।

बादशाह अकबर के दरबार में अब बीरबल भी आ जाता है।

बादशाह अकबर ने कहा “अब सभी दरबारी आ गऐ हैं। मैं आपको सवाल बताता हूँ जिसका जबाव सभी दरबारी देगें। लेकिन बीरबल नहीं देगा।”

सभी दरबारी बादशाह अकबर की इस बात को सुनकर बहुत खुश होते हैं।

बादशाह अकबर ने अपने दरबार में दो हाथ लंबी और दो हाथ चौड़ी चादर लाने का आदेश देते हैं। फिर सभी दरबारियों को कहते है कि आप सभी मुझे सर से लेकर पैर तक इस छोटी चादर से ढक कर के दिखाऐ।”

बादशाह अकबर अब सो जाते हैं।

सभी दरबारी एक-एक करके बादशाह अकबर को पूरी तरह से ढकने का प्रयास करते हैं। लेकिन उस चादर से कभी बादशाह अकबर का पैर ढकते तो सिर नहीं ढक पाता, कभी उस चादर से सिर को ढकते तो पैर नहीं ढक पाता।

सभी दरबारी बादशाह अकबर को उस छोटी चादर से पुरा ढकने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं।

कभी चादर आडा करते तो कभी तिरछा, कभी लम्बी तो कभी चौड़ी। लेकिन सभी दरबारी बादशाह अकबर को पूरी तरह से ढकने में सझम नहीं हो पाते हैं।

अंत में सभी हार मान कर बैठ जाते।

अब बादशाह अकबर बीरबल से मुसकराते हुए कहते है “बीरबल क्या तुम मुझे इस छोटी चादर से पुरा ढकने में प्रयास करोगे?”

बीरबल ने तुरंत कहा “जहांपनाह! ये तो बहुत ही आसान है।”

बादशाह अकबर लेट जाते है।

बीरबल बादशाह अकबर को अपने पैरों को मोड़ने के लिए कहता है।

बादशाह अकबर जैसे ही अपने पैर मोड़ते है। बीरबल उस छोटी चादर से बादशाह अकबर को पूरी तरह से ढक देता है।

एक बार फिर दरबार में सभी दरबारी बीरबल की कुशाग्र बुद्धि को देखकर दंग रह जाते हैं।

बीरबल की चतुराई का डंका फिर बज जाता है। सभी दरबारियों आपना चेहरे को लटकाऐ हुए दरबार से चले गए।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

ख़ुद को दूसरों से बेहतर बताने के लिए दूसरे को नीचा नहीं समझाना चाहिए। हमें जितनी चादर हो उतना ही  पैर पसारना चाहिए। अर्थात् जितनी हमारी क्षमता हो उतना ही भार उठाना चाहिए। क्षमता से अधिक भार हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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