ईरान से आया एक अनोखा उपहार (अकबर बीरबल की कहानी)- Iran se Aaya ek Anokha Uphaar
एक समय की बात हैं। सर्दियों का समय था। बादशाह अकबर के दरबार में ईरान के राजा ने एक दूत द्वारा बादशाह अकबर के लिए एक उपहार भेजा। यह उपहार एक मोम का बना शेर का पुतला था जो कि पिंजरे में बंद था।
ईरान देश से आये हुए दूत ने कहा “ईरान के राजा ने संदेश भिजवाया हैं कि शेर को बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल कर दिखाये।”
बादशाह अकबर को यह बात सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ।
बादशाह अकबर ने सोचा कि यदि मैं ईरान के राजा द्वारा भेजी गई उपहार रुपी चुनौती पूरी न कर सका तो मेरी नाक कट जायेगी।
बादशाह अकबर की परेशानी को देखकर बीरबल ने कहा “यह तो बहुत आसान हैं।”
दरबार में सभी बीरबल के चतुराई से परिचित थे।
अब बीरबल ने एक गर्म लोहा मंगवाया। फिर बीरबल उस गर्म लोहे को लेकर पिंजरे के पास आया।
सभी बीरबल को देखकर सोचने लगे कि “बीरबल क्या करने वाला हैं।”
बीरबल ने उस गर्म लोहे को पिंजरे में डाल दिया। जैसे ही गर्म लोहा मोम के शेर के पास पहुँचा। मोम का शेर पिघलने लगा और थोड़ी ही समय में मोम का बना शेर पूरी तरह पिघल कर बाहर आ गया।
इस प्रकार ईरान के राजा की दी गयी चुनौती पूरी हुई। दरबार में बैठे बादशाह अकबर और सभी मंत्रीगण खुश हो गये।
इस तरह बीरबल ने एक बार फिर अपनी चतुराई और बुद्धि का प्रमाण दिया।
इस कहानी से क्या सीख मिलती हैं?
हमेशा हमें सोच समझ कर कोई भी काम करना चाहिए। इससे हमें हर समस्या का हल मिलता हैं।
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