भारतीय नोटों पर कब और कैसे आई महात्मा गांधी की तस्वीर, इससे पहले किनकी थी तस्वीर, जाने यह बदलाव क्यों किया गया
हर एक देश की अपनी अपनी करेंसी होती है और भारत की करेंसी रुपया है। सभी देश की करेंसी में कुछ ना कुछ चिन्ह् अंकित होता है। हमारे देश की करेंसी पर हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर अंकित है।
लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छापने की शुरुआत कब हुई और नोटों पर गांधी जी से पहले किसकी तस्वीर छपा करती थी? आज के इस लेख में हम आपको भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छपने से संबंधित सभी प्रश्नों का जवाब देंगे।
गांधी जी के पहले भारतीय नोटों पर किसकी तस्वीर थी?
भारतीय नोटों पर हमें गांधी जी की तस्वीर दिखाई देती है। लेकिन पहले भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर नहीं छपा करती थी। गांधी जी से पहले भारतीय नोटों पर अशोक स्तंभ की तस्वीर हुआ करती थी और उससे पहले राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपा करती थी।
यहां तक कि देश के आजाद होने के 2 साल बाद तक भी ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर वाली मुद्रा भारत में चल रही थी। लेकिन 1950 में भारतीय नोटों में बदलाव करते हुए जॉर्ज पंचम के जगह पर अशोक स्तंभ की तस्वीर छापने की शुरुआत की गई।
उस समय रुपए की गणना 16 आनो में होती थी। लेकिन 1957 के बाद इस प्रणाली को बदलते हुए दशमलव प्रणाली में रुपए को 100 पैसों में बदला गया।
कब से हुई भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर छापने की शुरुआत?
इसकी सिफारिश सबसे पहले 13 जुलाई 1995 को आरबीआई ने केंद्र सरकार को की थी। इसके बाद 1996 में नोटों में बदलाव करते हुए फैसला लिया गया कि अशोक स्तंभ के जगह पर महात्मा गांधी की तस्वीर छापी जाएगी।
हालांकि नोट से अशोक स्तंभ को नहीं हटाया गया। अशोक स्तंभ को नोट के बाएं ओर निचले हिस्से पर अंकित किया गया।
इतना ही नहीं 1996 में महात्मा गांधी सीरीज की शुरुआत की गई, जिसमें अंधे लोगों के लिए नोटों पर परिवर्तित वाटर मार्क, विंडो सुरक्षा धागा, सिकरेट इमेज और इंटैग्लियो जैसी कई विशेषताओं को भी शामिल किया गया।
नोटों पर लगी गाँधी जी की तस्वीर किस जगह की है?
भारतीय नोटों पर गांधी जी की तस्वीर को देखकर आपके मन में यह भी प्रश्न जरूर आया होगा कि गांधी जी की यह तस्वीर किस जगह की है?
वैसे यह तस्वीर कंप्यूटर से बनाई नहीं गई है यह ओरिजिनल तस्वीर है। बता दें कि यह तस्वीर सन 1946 की है जब गांधी जी कोलकाता हाउस में कैबिनेट मिशन के दौरान भारत और बर्मा (म्यांमार) में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में तैनात फ्रेडरिक लॉरेंस के साथ मुलाकात करने के लिए गए थे।
उसी यादगार पल को पोट्रेट के रूप में गांधी जी के चेहरे को भारतीय नोटों पर अंकित कर दिया गया और इस तरह यह तस्वीर भारतीय करेंसी का ट्रेडमार्क बन गया।