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धरती माता की कहानी

नमस्कार दोस्तों, कहानी की श्रृंखला में आज हम आपको धरती माता की कहानी के विषय मे विस्तार से बताएंगे कि कैसे एक भाई अपनी ही बहन से विवाह करने की योजना बना लेता है, जिसके बाद जो अनर्थ होता है। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़कर जानिए।

बहुत समय पहले एक बहुत ही पुराना गांव था। उस गांव में एक महिला रहा करती थी, वह महिला बहुत गरीब थी। वह बहुत ही मुश्किलों से अपने घर का लालन पोषण किया करती थी। उस महिला के एक लड़का और एक लड़की थी। महिला अपने बच्चों से बहुत प्रेम किया करती थी। उसने अपने बच्चों की हर जरूरतों को पूरा करने के लिए वह बहुत मेहनत किया करती थी। उसके बच्चे भी अपनी मां से बहुत प्यार करते थे।

धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और उस महिला के दोनों बच्चे बड़े हो गए। वह महिला भी वक्त के साथ-साथ बुजुर्ग हो गई। तभी एक दिन उस महिला ने अपने बेटे से कहा कि बेटा तुम्हारी बहन की उम्र शादी करने की हो गई है। अब तुम कोई अच्छा सा लड़का जिसका परिवार अच्छा हो, ढूंढ कर अपनी बहन का विवाह कर दो।

पर एक बात याद रहे वहीँ एकदम तुम्हारी तरह हो। ऐसे तुम अपनी बहन को खूब प्यार करते हो वैसे वह भी तुम्हारे जैसा होना चाहिए। उसी को अपनी बहन के लिए ढूंढना और यह तुम मुझसे वादा करो कि तुम मेरे बताए हुए ही लड़की से अपनी बहन का विवाह करवाओगे। उस महिला के बेटे ने अपनी मां से वादा किया कि मैं आपके बताए हुए हर एक चीज का पालन करूंगा।

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जिसके बाद वह लड़का अपनी बहन के लिए वर ढूंढने के लिए निकल पड़ा। कई दिनों तक उसने लड़के की तलाश की, लेकिन उसको कोई लड़का नहीं मिला जैसा उसकी मां ने उससे बोला था। एक दिन मां की तबीयत अचानक से ज्यादा बिगड़ जाने के कारण उसकी मां का निधन हो गया। अपनी मां का अंतिम संस्कार खूब धूमधाम से और पूरे रीति-रिवाजों के साथ किया।

मां के गुजर जाने के बाद अब भाई और बहन अकेले हो गए। भाई पर अपनी बहन की शादी करने की पूरी जिम्मेदारी आ गई और उसने अपनी मां को भी वचन दिया था। मां के बताए हुए ही लड़के से शादी करवाएंगा।

इसके बाद में एक बार फिर से अपनी बहन के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढने के लिए निकल पड़ता है और कई दिनों तक इधर उधर भटकने के बाद भी उसको अपनी मां के बताए एक भी गुण का लड़का नहीं मिलता है। इसके बाद वह लड़का हार मान कर अपने घर चला आता है और दुखी हो जाता है कि मैंने मां को वचन दिया है और मैं उस वचन को पूरा नहीं कर पा रहा हूं।

जिसके बाद वह एक कमरे में जाकर अकेले बैठ जाता है। तभी अचानक से उसके मन में एक ख्याल आता है कि क्यों ना मैं ही अपनी बहन से शादी कर लूं, क्योंकि मां ने बोला था मेरे जैसा लड़का ही होना चाहिए, जो अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करें। जिससे मां को दिया हुआ वचन भी पूरा हो जाएगा और बहन की शादी भी हो जाएगी।

जिसके बाद वह लड़का अपनी बहन के साथ शादी करने के लिए वह बाजार जा कर शादी की सारी सामग्री चुनरी और बहुत सारी शादी में योग्य होने वाली सारी वस्तुएं ले आता है। जिसको देखकर उसकी बहन उससे पूछती है कि भैया यह सब क्या है और तुम यह किसकी शादी का सामान लेकर आए हो। जिसके बाद उसका भाई उसको बताता है कि तुम्हारी शादी के लिए मैं यह सब सामग्री लेकर आया हूं।

जिसके बाद उसकी बहन अपने भाई से पूछती है कि किससे शादी करवा रहे हो मेरी, अभी तो कोई शादी के लिए रिश्ता लेकर घर भी नहीं आया है। जिसके बाद उसका भाई वहां से बिना कुछ बोले चला जाता है। तभी उसकी बहन किसी काम से बाहर निकलती है तभी गांव में रहने वाले कुछ लोग उसको बताते हैं कि तुम्हारा भाई खुद तुमसे शादी करने के लिए शादी की व्यवस्था कर रहा है।

जैसे ही उसकी बहन को यह बात पता लगती है मेरा भाई मेरी शादी करने जा रहा है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है। जिसके बाद उसकी बहन तुरंत भाग कर अपने भाई के पास जाती है और इस बात को अपने भाई से पूछती है कि बाहर जो सभी लोग बात कर रहे है, वह सच है। अपनी बहन के पूछने पर भी उसका भाई कोई उत्तर नहीं देता है। अपने भाई की चुप्पी को देखकर वह समझ जाती है कि यह मेरे साथ ही शादी करने की योजना बना रहा है।

जिसके बाद उसकी बहन एक लोटे में जल, चुनरी और चप्पल लेकर जंगल की ओर भाग जाती है। तभी वहां पर कुछ गाय चराने वाले व्यक्ति मिलते हैं, जो उसकी बहन से पूछते हैं कि बेटा तुम कहां जा रही हो। लेकिन बहन कोई उत्तर नहीं देती है और जंगल में अंदर चली जाती है। जंगल में बीचो-बीच पहुंचकर वह जोरों से धरती माता को आवाज देती है और उनका आवाहन करती है “हे धरती माता मुझे बचा लो नहीं तो यहां पर बहुत बड़ा अपराध हो जाएगा।”

जिसके बाद वह धरती माता से कहती है कि आप मुझे अपनी गोद में बैठा कर ले चलो। जिसके बाद थोड़ी देर में धरती बीच से फट जाती है और उसमें से धरती माता निकलती है। उसको अपनी गोद में बैठा कर धरती के अंदर ले जाने लगती हैं। तभी उसका भाई दौड़ता हुआ जंगल की तरफ आ जाता है और गाय चराने वाले व्यक्तियों से पूछता है कि क्या तुमने मेरी बहन को देखा है।

तब यह बताते हैं कि जंगल में अंदर की ओर गई है। जैसे ही उसका भाई जंगल में उस जगह पर जाता है, जहां पर धरती माता बहन को लेकर धरती के अंदर जा रही होती है, उसको सिर्फ अपनी बहन के बाल नजर आते हैं और वह दौड़ कर तुरंत जाता है और उसके बाल पकड़ लेता है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

धरती माता उसकी बहन को धरती के अंदर ले जा चुकी होती है, जिसको देखकर वह बहुत जोर-जोर से रोने लगता है और अपने किए पर शर्मिंदा होने लगता है। तभी उसका भाई चिल्ला चिल्ला के करता है मैं बहुत बड़ा अपराध करने जा रहा था। लेकिन मैंने अपने मां के दिए हुए आदेश का ही पालन कर रहा था।

लेकिन कोई फायदा नहीं होता है, क्योंकि धरती माता तो उसकी बहन को ले जा चुकी होती है। वह अपना सिर पीटता रह जाता है और तभी से ही सभी औरतें धरती माता की पूजा करना शुरू कर देती हैं और उनकी कहानी सुनती हैं।

फिर कुंवारी कन्या को दान में लोटे में जल एक बर्तन में हरी मूंग और चप्पल, चुनरी कुंवारी कन्या जिसकी शादी ना हुई हो, उसको दान देती हैं। धरती माता की पूजा भाद्रपद की शुक्ल पंचमी, भाद्रपद की शुक्ल तृतीय, श्रावण शुक्ल षष्ठी और चैत्र कृष्ण नवमी को धरती माता की पूजा की जाती है।

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Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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