बाबापुर की रामलीला (तेनालीराम की कहानी)| Babapur Ki Ramlila Tenali Rama ki Kahani
दक्षिण भारत का एक चर्चित राज्य विजयनगर हुआ करता था। इस राज्य का संचालन महाराजा कृष्ण देव राय करते थे। महाराजा कृष्णदेव राय के मंत्रिमंडल में से एक मंत्री जिनका नाम तेनालीरामा था, वह अपनी बुद्धिमानी एवं चातुर्य के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। वे प्रत्येक दिन आई कोई ना कोई समस्या का निवारण अपनी बुद्धि से किया करते थे।
महाराजा कृष्ण देवराय अपने राज्य की संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए कोई ना कोई कार्यक्रम करवाते रहते थे। इसी के तहत विजय नगर में दशहरे के पर्व पर काशी की एक नाटक मंडली बुलाई जाती थी जो प्रतिवर्ष दशहरा मैदान में रामलीला का कार्यक्रम दिखाते थे।
इस साल दशहरे में कुछ ही दिन बाकी थे कि महाराज कृष्णदेव राय के समक्ष एक समस्या आ खड़ी हो गई। उन्हें संदेश मिला कि इस वर्ष काशी की नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ सकती क्योंकि उनके आधे से ज्यादा सदस्य बीमार पड़ गए हैं।
महाराज असमंजस में पड़ गए कि क्या किया जाए और क्या नहीं किया जाए? क्योंकि काशी से जो नाटक मंडली आती थी उसके द्वारा दिखाए गए रामलीला को विजय नगर का प्रत्येक व्यक्ति पसंद करता था और यही उनके मनोरंजन का साधन था। जब नाटक मंडली के विजयनगर नहीं पहुंचने की खबर पूरे राज्य में फैली तो सभी राज्य वासियों के मन में एक उदासी छा गई।
यह भी पढ़े: रसगुल्ले की जड़ (तेनालीराम की कहानी)
महाराजा ने तेनाली रामा को बुलाया और सारी बात बताइए। तेनाली ने बात सुनकर कहा “महाराज आप निश्चिंत हो जाइए और दशहरे की तैयारी कीजिए मैं एक नाटक मंडली को जानता हूं जो अवश्य ही विजयनगर आएगी और रामलीला की प्रस्तुति देगी।” तेनाली की बात सुनते ही महाराज के चेहरे खुशी की लहर आ गई। क्या सच में वह नाटक मंडली हमारे विजयनगर आकर रामलीला की प्रस्तुति देगी? जी महाराज, तेनाली ने जवाब दिया।
विजयनगर को नवरात्रा के लिए दुल्हन की तरह सजाया गया रामलीला मैदान की साफ सफाई होने लगी और वहां पर एक बड़ा सा मंच लगाया गया जिस पर नाटक मंडली रामलीला प्रस्तुति देगी। दशहरे के दिन महाराज कृष्ण देव राय, मंत्रिमंडल और पूरा विजयनगर रामलीला की प्रस्तुति देखने के लिए दशहरे मैदान में आ गया।
जब सबने रामलीला देखी तो सभी बहुत प्रसन्न हुए और महाराज तो नाटक मंडली में बच्चों को देख कर इतने प्रसन्न हुए की पूरी नाटक मंडली को राज महल में भोजन के लिए आमंत्रित किया।
सभी बच्चे मंत्रिमंडल और महाराज कृष्ण देव राय एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे तब महाराज ने धीरे से तेनालीरामा से सवाल किया कि “ये नाटक मंडली कहां से आई है?” तेनाली ने जवाब दिया “महाराज ये नाटक मंडली बाबापुर से आई है।” “बाबापुर, ये भला कहा है? हमने तो इसका नाम ही पहली बार तेनाली आपके मुंह से सुना है” महाराज ने आश्चर्य से पूछा।
तभी वहा बैठे सभी बच्चे हसने लगे, महाराज ने उनसे हसने का कारण पूछा तो बचो ने जवाब दिया की महाराज हम सब विजयनगर के ही है हम सबकी मंडली तेनाली बाबा ने बनाई है इसलिए ये मंडली बाबापुर से आई है। बच्चे की बात सुनकर वाहा बैठे सभी लोग हंसने लगे।
शिक्षा: समस्या भले ही कितनी भी बड़ी हो यदि हम शांति से बैठकर सोचे तो उस समस्या का निवारण मिल सकता है।
तेनाली रामा की सभी मजेदार कहानियां पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें