असली वर कौन? (बेताल पच्चीसी पांचवी कहानी) | Asli Var Kaun Vikram Betal ki Kahani
कई बार कोशिश करने के बाद भी विक्रमादित्य बेताल को अपने साथ ले जाने में असफल हुए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पेड़ के पास जाकर बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठाकर ले गए। अब शर्त के अनुसार बेताल ने फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया और इस बार कहानी थी-असली वर कौन?
असली वर कौन? (बेताल पच्चीसी पांचवी कहानी)
बहुत पुराने समय की बात है उज्जैन नगरी में एक महाबल नामक राजा था। राजा बहुत दयालु और पराक्रमी था। उसकी एक बेटी थी, जिसका नाम महादेवी था। वह बहुत सुंदर और सभ्य थी।
जब वह विवाह योग्य हुई तो राजा ने उसके लिए वर खोजना शुरू कर दिया।
एक-एक करके बहुत सारे राजकुमार महादेवी से विवाह करने की इच्छा लेकर आये परन्तु राजा को एक भी योग्य नही लगा। राजा की एक ही शर्त थी कि जो राजकुमार उनकी बेटी के लिए चुना जाएगा, वह सभी गुणों से निपुण होगा।
इस तरह कई दिन बीत गए लेकिन राजा को कोई उचित दामाद नही मिला। एक दिन राजा दरबार मे बैठा था, तो एक राजकुमार वहां आया और कहा कि वह राजकुमारी से विवाह करना चाहता है। तब राजा ने कहा कि तुममें ऐसे कौनसे गुण है जिसके कारण तुम मेरी बेटी से शादी करने आये हो। तब राजकुमार कहता है कि मेरे पास एक ऐसा रथ है, जिससे मैं क्षणभर कहीं भी जा सकता हूँ। राजा कहता है कि ठीक है तो मैं अपनी बेटी से बात करके तुम्हें जवाब देता हूँ।
कुछ दिन बाद राजमहल में एक और राजकुमार पहुँचा और उसने राजा से कहा कि मैं राजकुमारी से विवाह करना चाहता हूँ। राजा ने उससे भी वही सवाल किया जो पहले वाले राजकुमार से क़िया।
उस राजकुमार ने कहा कि राजन मैं त्रिकालदर्शी हूँ और भूत वर्तमान और भविष्य तीनो को देख सकता हूँ। राजा ने कहा कि ठीक है तुम अभी जाओ मैं अपनी बेटी से पूछकर तुम्हे जवाब देता हूँ।
कुछ दिन बाद महल में एक और राजकुमार राजकुमारी का हाथ माँगने आया। राजा ने उससे भी वही सवाल किया कि तुम्हारे पास ऐसे कौनसे गुण है कि मैं अपनी बेटी का हाथ तुम्हें दू। राजकुमार ने कहा कि मैं धनुर्विद्या में निपुण हूँ। मेरे जैसा धनुर्धर दूर-दूर तक कही नही मिलेगा। राजा ने कहा कि बहुत शानदार। मैं तुम्हे कुछ दिनों में प्रत्युत्तर दूँगा। राजा असमंझस में पड़ गया कि तीनों राजकुमार गुणवान है, उसे किसे राजकुमारी के लिए चुनना चाहिए।
इस प्रकार दिन बीतने लगे। उसी राज्य में एक भयंकर राक्षस था जिसकी नजर राजकुमारी पर थी। वह एक दिन मौका देख राजकुमार को उठाकर ले गया। अब राजा बहुत परेशान हो गया। जैसे ही यह खबर पूरे राज्य में फैली तो तीनों राजकुमार महल में इक्कठे हो गए।
त्रिकालदर्शी राजकुमार ने कहा कि वह दुष्ट राक्षस राजकुमारी को विंध्याचल पर्वत पर ले गया है। तभी दूसरा राजकुमार कहता है कि मैं अपना रथ लेकर आता हूँ और तीसरे राजकुमार ने कहा कि मैं अपने धनुष से राक्षस का वध कर दूँगा।
इस तरह सब लोग विंध्याचल पर्वत की ओर निकल पड़े। जब वे पहुंचे तो धनुर्धारी राजकुमार ने अपने तीर कमान से निशाना लगाकर राक्षस का वध कर दिया और वे लोग राजकुमारी को सुरक्षित वापस महल ले आए।
इस कहानी को सुनने के बाद बेताल ने राजा विक्रम से कहा कि महराज राजकुमारी को बचाने में तीनों का योगदान था तो अब मुझे बताइए कि राजकुमारी का विवाह किससे होना चाहिए। मैंने सुना है कि तुम हमेशा न्याय की बात करते हो। जल्दी बताओ वरना तुम्हारे सिर के टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा।
इस पर विक्रमादित्य ने जवाब दिया कि राजकुमारी का विवाह धनुर्धारी राजकुमार से होना चाहिए क्योंकि उसने राक्षस से युद्ध करके राजकुमारी को बचाया है अन्य दोनों राजकुमारो ने तो उसकी सहायता की थी।
बस उतने में ही बेताल उड़कर पेड़ से जाकर लटक गया।
सीख: मुश्किल की घड़ी में सदैव साहस से काम लें।
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