असली मां कौन? (अकबर बीरबल की कहानी) – Asli Maa kaun?
बहुत पुरानी बात है। एक राजा था, जिनका नाम शहंशाह अकबर था।
एक दिन उनके दरबार में दो महिलाएँ रोते हुए पहुँची। उनके पास 1 साल का छोटा-सा सुंदर बच्चा था। दोनों महिलाएँ एक ही बच्चे के लिए एक-दूसरे से लड़ाई कर रही थी।
एक महिला बोल रही थी “मैं इस बच्चे की असली मां हूँ।”
तो दूसरी महिला भी बोल रही थी “मैं इस बच्चे की असली मां हूँ।”
राजा दोनों महिलाओं की बात ध्यान पूर्वक सुन रहे थे पर उनके लिए यह निर्णय लेना मुश्किल हो गया था कि बच्चे की असली माँ कौन है?
फिर शहंशाह अकबर परेशान हो गए और अपने सिर पर हाथ रख कर सोचने लगे कि “आख़िर इस बच्चे की असली माँ कौन है?”
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर उन्होंने बिरबल को अपने पास बुलाया और बीरबल को कहा “तुम इस समस्या का समाधान करो।”
बीरबल ने थोड़ा सोचा और फिर एक जल्लाद को बुलाया।
बीरबल ने उन दोनों महिलाओं से कहा “इस बच्चे को जल्लाद को दे दो। यह जल्लाद तुम्हारे इस बच्चे के दो टुकड़े कर देगा और एक-एक टुकड़ा तुम दोनों ले लेना।”
यह बात सुनते ही एक महिलाएँ बहुत ज़ोर से रोने लगी। उस महिला ने रोते-रोते कहा “मुझे बच्चा नहीं चाहिए। इस बच्चे का दो टुकड़े मत करो। यह बच्चा आप दूसरी महिलाओं को दे दो।”
पर दूसरी महिला चुपचाप यह सब देखती रही और कुछ नहीं बोली।
अब चतुर बीरबल को पता चल चुका था कि इस बच्चे की असली माँ कौन है? बीरबल ने इस बच्चे को उस रोती हुई महिला को सौंप दिया, जिसने बच्चे को दो टुकड़े करने से मना किया था और दूसरी महिला को जेल में भेज दिया।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।
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