अर्जुन का पर्यायवाची शब्द (Arjun ka Paryayvachi Shabd in Hindi)
अर्जुन – धनंजय, सव्यसाची, पार्थ, गुड़ाकेश, बृहन्नला, कुन्तीपुत्र, कौन्तेय, गांडीवधारी, कर्णारि, गांडीवी, कपिध्वज,फाल्गुन, जिष्णु, किरीटी, शक्रात्मज, धन्वी, श्वेतवाहन, गांडीवधन्वा, वीभत्सु, पांडुनंदन, विजय, ऐंद्र, शक्रनंदन, अर्जुनवृक्ष, वीरवृक्ष, होलेमट्ट शिवभल्ल, शंबर, ककुम, काहु, कोह, कहू, अंजन, ककुभ, इंद्रद, नदीसर्ज, इंद्रद्रुम, इन्द्रतरु, कनेर, कणेर, सफ़ेद कनैल, अर्जुनरोग, गुहेरी
Arjun ka Paryayvachi Shabd in Hindi- dhananjay, savyasaachee, paarth, gudaakesh, brhannala, kunteeputr, kauntey, gaandeevadhaaree, karnaari, gaandeevee, kapidhvaj,phaalgun, jishnu, kireetee, shakraatmaj, dhanvee, shvetavaahan, gaandeevadhanva, veebhatsu, paandunandan, vijay, aindr, shakranandan, arjunavrksh, veeravrksh, holematt shivabhall, shambar, kakum, kaahu, koh, kahoo, anjan, kakubh, indrad, nadeesarj, indradrum, indrataru, kaner, kaner, safed kanail, arjunarog, guheree.
अर्जुन के पर्यायवाची शब्द (Synonyms of Arjun in Hindi) और उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।
नीचे हम उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।
अर्जुन शब्द के वाक्य प्रयोग द्वारा पर्यायवाची शब्दों के अंतर को समझना
- अर्जुन- महाभारत के मुख्य चरित्र अर्जुन हैं।
- अर्जुन सबसे अच्छे तीर चालक थाऔर द्रोणाचार्य के प्रिय चेला थे।
- पार्थ – कुन्ती का अन्य नाम -‘पृथा’ है इसलिए अर्जुन को पार्थ अर्थात पृथा का पुत्र कहते हैं।
- किरीटिन्- अर्जुन को इंद्र के द्वारा उपहार में चमकते मुकुट ‘किरीट’ मिली थी इसलिए उसे कि किरीटिन् भी कहा जाता है।
- श्वेतवाहन- अर्जुन के पास श्वेत रथ में श्वेत अश्व जुड़े थी इसीलिए उसे श्वेत वाहन भी कहा जाता है।
- फाल्गुन- अर्जुन उत्तर फाल्गुण नक्षत्र में जन्मा था इसीलिए उसे फाल्गुन भी कहा जाता है।
- सव्यसाची- अर्जुन अपने दोनों हाथों से वाहन चलाने में सक्षम था इसीलिए उसे सव्यसाची भी कहा जाता है।
- धनञ्जय- अर्जुन जहां भी युद्ध करने जाता था वहां से संपत्तियां लाता था इसीलिए उसे धनंजय अर्थात धन को संचित करने वाला कहा जाता है।
- गाण्डीवधन्वन् – अर्जुन के पास गांडीव नामक धनुष था इसलिए उसे गाण्डीवधन्वन् कहा जाता है।
- कपिध्वज- अर्जुन के रथ पर लगे ध्वज पर वानर बना हुआ था इसीलिए उसे कपिध्वज भी कहा जाता है।
- गुडाकेश- अर्जुन अपनी निद्रा को जीतने वाला था और भयंकर काली रात्रि में भी धनुर्विद्या का अभ्यास करने वाला था इसीलिए उसे गुडाकेश भी कहा जाता है।
- परन्तप- अर्जुन ने अत्यधिक परम तप किया था इसीलिए उसे परन्तप कहा जाता है।
- बीभत्सु – अर्जुन हमेशा धर्मसम्मत के लिए युद्ध लड़ा था इसीलिए उसे बीभत्सु भी कहा जाता है।
- गांडीवधारी- अर्जुन ने गांडीव धनुष को धारण किया था इसलिए उसे गांडीवधारी कहा जाता है ।
- कौन्तेय- अर्जुन कुंती पुत्र था उसे इसीलिए उसे कौन्तेय कहा जाता है।
- मध्यपाण्डव- पांडव में अर्जुन मध्य में जन्मा था इसीलिए अर्जुन को मध्यपाण्डव कहा जाता है ।
पर्यायवाची शब्द परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई पर्यायवाची शब्द हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए शब्द बादल का पर्यायवाची ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी समानार्थक शब्दों में से किसी का भी पर्यायवाची शब्द पूछा जा सकता है।
पर्यायवाची शब्द का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में पर्यायवाची शब्द पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से पर्यायवाची शब्द बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पर्यायवाची शब्द का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी पर्यायवाची शब्द पूछे जाते हैं।
पर्यायवाची शब्द कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
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