अपराधी कौन? (बेताल पच्चीसी तेरहवीं कहानी) | Apradhi Kaun Vikram Betal ki Kahani
कई बार कोशिश करने के बाद भी विक्रमादित्य बेताल को अपने साथ ले जाने में असफल हुए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पेड़ के पास जाकर बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठाकर ले गए। अब शर्त के अनुसार बेताल ने फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया और इस बार कहानी थी-अपराधी कौन?
अपराधी कौन? (बेताल पच्चीसी तेरहवीं कहानी)
किसी जमाने मे देवस्वामी नामक ब्राह्मण था। उसका एक पुत्र था जिसका नाम हरिदास था। हरिदास की पत्नी जिसका नाम लावण्यवती था बहुत सुंदर थी। एक दिन हरिदास और उसकी पत्नी दोनों छत पर सो रहे थे। आधी रात को एक गंधर्व कुमार ऊपर घूमता हुआ निकला।
वह लावण्यवती के रूप पर मोहित हो गया और उसे उठा के गया। जब हरिदास की आँख खुली तो उसने अपनी पत्नी को गायब पाया तो बहुत दुःखी हुआ। इस दुःख में उसने सोचा कि जरूर उसने कोई पाप किया है। उसे कोई तीर्थयात्रा करनी चाहिए ताकि उसका पश्चाताप हो सके।
अगली सुबह वह यात्रा पर निकल गया। रास्ते मे एक ब्राह्मण का घर आया। हरिदास को थका हुआ देख उस ब्रह्माणी ने खाने के लिए स्वादिष्ट खीर दे दी। हरिदास भी भूखा और थका हुआ था तो उसने मना नही किया और खीर ले ली।
फिर वह एक विशाल पेड़ के नीचे जाकर बैठा और खीर वहाँ रखी फिर पास की नदी से हाथ मुँह धोने लगा। इतने में पेड़ की एक डाली पर एक बाज आया जिसके मुँह में साँप पकड़ा हुआ था।
उस साँप का जहर टपककर खीर के कटोरे में गिर गया लेकिन हरिदास इस पूरी घटना से अंजान था। उसने वापस आकर सारी खीर खा ली और खीर खाते ही वह उल्टी करने लगा और तडपने लगा।
उसे एहसास हुआ कि हों न हों इस खीर में जहर मिलाया हुआ था। वह तड़पता हुआ ब्रह्माणी के पास गया और बोला कि हत्यारिन तुमने मुझे जहर मिली खीर क्यों दी थी। ब्रह्मणी कुछ समझ नहीं पाई और इतने में ही हरिदास वही दम तोड़ देता है।
जब ब्राह्मणी के पति को सारी बात का पता चलता है तो वह कहता है कि तुम एक ब्राह्मघातिनी हो तो और निकल जाओ मेरे घर से।
अब बेताल राजा से पूछता है कि बताओ “राजाजी की अपराधी कौन है?”
राजा जी कहते है कि “कोई नही। क्योंकि सांप का जहर टपका इसमें कोई अपराध नही था क्योंकि वह स्वयं शत्रु के वश में था। बाज भी अपराधी नही था क्योंकि उसने अपनी भूख मिटाने के लिए सांप को मारा था और ना ही वह ब्राह्मणी अपराधी थी क्योंकि उसने तो उसे अच्छी खीर दी थी।
अगर कोई अपराधी था तो वह था ब्राह्मणी का पति जिसने बिना सोचे समझे अपनी पत्नी पर इल्जाम लगाया था और उसे घर से निकाल दिया था।”
इतना सुनकर बेताल पेड़ पर जा लटका और राजा उसे वापस पकड़कर लाया और अगली कहानी सुनी।
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