समय का राग कुसमय की टर्र (The Story of the Potter Story In Hindi)
Kumhar ki Kahani: एक गांव में युधिष्ठिर नाम का भार रहता था। उसको शराब पीने की बुरी आदत थी। एक दिन रात्रि के समय जब शराब पीकर अपने घर लौटा तो पैर लड़खड़ा जाने के कारण वह गिर गया। नीचे जमीन पर कुछ टूटे हुए घड़े के कुछ टुकड़े पड़े हुए थे। उनमें से एक टुकड़ा कुमार के सिर में लग गया, जिसके कारण बहुत गहरा घाव हो गया था।
घाव इतना कह रहा था कि दवा लेने के कारण भी ठीक ना हुआ। कुछ महीनों पश्चात जब वह घाव तो ठीक हो गया किंतु उसी स्थान पर बहुत बड़ा निशान बन गया।
कुछ समय पश्चात उस गांव में सूखा पड़ गया। कुम्हार अपना गांव छोड़कर अन्य राज्य में चला गया। उस राज्य में राजा सेवकों की भर्ती कर रहा था, तब कुम्हार भी उन सेवकों में शामिल हो गया।
जब राजा ने कुम्हार के सिर पर गांव का इतना बड़ा निशान देखा तो सोचा अवश्य ही यह बहुत बड़ा शूरवीर होगा, जिसने कई जंग मैदान फतेह किए होंगे। किसी ना किसी जंग में यह घाव उसके सिर पर लगा है। यह सोचकर उस कुमार को राजा ने सेना में उच्च पद दे दिया।
राजपूत्र और कुछ सेनापति कुम्हार का इतना सामान देखकर उसे जलते थे लेकिन राज भय के कारण उसको कुछ कह नहीं सकते थे।
कुछ समय पश्चात राजा को युद्ध भूमि में जाना पड़ा। राजा ने संयोग वस युधिष्ठिर कुमार को पूछ लिया कि किस युद्ध में उसे यह घाव लगा है। कुमार ने सोचा कि राजा और उसकी काफी मित्रता हो चुकी है तो उन्हें सच्चाई बता देनी चाहिए। यह सोच कर कुमार बोला “महाराज मैं कोई योद्धा नहीं मैं एक साधारण कुम्हार हूं और यह घाव मुझे अपने घर में एक टूटे हुए घड़े से लगा है।”
Read Also: शेर और मूर्ख गधा – The Lion and the Foolish Donkey Story In Hindi
महाराज ने जब यह सुना तो वह अचंभित रह गए। गुस्से से लाल पीके होकर बोला “तूने मुझे ठगकर राज्य में बहुत ऊंचा पद ले लिया है। तुम इसी वक्त मेरे राज्य से निकल जाओ।”
कुम्हार महाराज के सामने विनम्रता पूर्वक निवेदन करने लगा कि “महाराज, मैं आपके लिए युद्ध के मैदान में प्राणों की बाजी लगा दूंगा। आप एक बार मेरा युद्ध कौशल तो देख लीजिए।”
किंतु महाराज ने एक ना सुनी और उसे राज्य से तुरंत निकलने के लिए कहा। महाराज ने कहा तुम भले ही बहुत ही शूरवीर हो, सब गुणों में संपन्न हो किंतु जिस कुल में तुम्हारा जन्म हुआ है वह कुल शुरवीरों का कुल नहीं है।
तुम्हारी हालत उस गीदड़ की तरह हो चुकी है जो शेर के बच्चों के साथ पलने के बाद भी हाथी का शिकार नहीं कर पाया। तुम्हारी सच्चाई का पता सेनापति और राजपूतों को पता चले, उससे पहले तुम राज्य छोड़कर निकल जाओ वरना वह तुम्हें मार डालेंगे।
अंत में कुम्हार राज्य छोड़कर चला गया।
पंचतंत्र की सम्पूर्ण कहानियां पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।