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ब्राह्मण का सपना – पंचतंत्र की कहानी

ब्राह्मण का सपना (The Brahmin’s Dream Story In Hindi)

Brahman ka Sapna: एक नगर में एक कंजूस ब्राह्मण रहता था। वह प्रतिदिन भिक्षा मांग कर अपना गुजारा करता था। भिक्षा से प्राप्त आटे में से वह कुछ आटा खा लेता एवं शेष आटे को घड़े में डाल देता। ऐसा करते करते उसका घड़ा आटे से भर गया। ब्राह्मण ने घड़े को खूंटी में टांग दिया और उसके नीचे ही खटिया डालकर लेटे लेटे ख्वाबी घोड़े दौड़ाने लगा।

The Brahmin’s Dream Story In Hindi
The Brahmin’s Dream Story In Hindi

उसने सोचा जब देश में अकाल पड़ेगा तो इस घड़े की कीमत ₹100 हो जाएगी। मैं इसे बेच कर दो बकरियां लूंगा। कुछ माह पश्चात मेरे पास बहुत सी बकरियां हो जाएंगी। उन सब को बेचकर मैं एक गाय लूंगा। गायो के बाद भैंस और भैंसो के बाद घोड़े लूंगा।

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सभी घोड़ों को महंगे दामों में बेचूगा तो मेरे पास बहुत अधिक सोना हो जाएगा। मैं उसे सोने से एक बड़ा सा घर बनाऊंगा। मेरे पास इतना सोना देखकर कोई भी ब्राह्मण अपनी सुंदर कन्या से मेरा विवाह करवा देगा। उससे जो पुत्र प्राप्त होगा मैं उसका नाम सोमशर्मा रखूंगा।

जब वह थोड़ा बड़ा हो जाएगा तो मैं पुस्तक लिए हुए उसकी बाल लीलाओं का आनंद लूंगा। जब सोम शर्मा मुझे देखेगा और मेरे पास आएगा तो मैं उसकी मां को क्रोध से कहूंगा “संभाल अपने बच्चे को।”

वह घर के कामों में व्यस्त रहेगी और मेरी बात नहीं सुनेगी तो मैं उठकर उसे पैर की ठोकर से मारूंगा। यह सोचते ही ब्राह्मण का पैर ठोकर मारने के लिए ऊपर उठा तो ठोकर घड़े को लगी और घड़ा चकनाचूर हो गया। घड़े के चकनाचूर होते ही ब्राह्मण का सपना भी चकनाचूर हो गया।

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Sawai Singh
Sawai Singh
मेरा नाम सवाई सिंह हैं, मैंने दर्शनशास्त्र में एम.ए किया हैं। 2 वर्षों तक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी में काम करने के बाद अब फुल टाइम फ्रीलांसिंग कर रहा हूँ। मुझे घुमने फिरने के अलावा हिंदी कंटेंट लिखने का शौक है।

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