ब्राह्मणी और नेवला की कथा (The Brahmani and the Mongoose Story In Hindi)
Brahman Aur Nevla ki Kahani: एक बार देव शर्मा नाम का एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पास नकुली नाम का एक मादा नेवला था। जिस दिन ब्राह्मण के घर में पुत्र का जन्म हुआ उसी दिन नकुली ने भी एक नेवले को जन्म दिया। देव शर्मा की पत्नी बहुत ही दयालु स्वभाव की स्त्री थी। उसने नेवले को भी अपने पुत्र के समान पाल पोस कर बड़ा किया।
नेवले और देव शर्मा के पुत्र के बीच गहरी मित्रता हो गई थी, दोनों ही बड़े प्रेम से साथ साथ रहते थे। ब्राह्मणी इन दोनों का प्रेम देखकर बहुत ही प्रसन्न होती थी किंतु उसके मन में सदैव ये आशंका रहती थी कि नेवला उसके पुत्र को कहीं नुकसान ना पहुंचा दे क्योंकि पशु में बुद्धि नहीं होती।
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एक दिन इसी आशंका का परिणाम सामने आया जब ब्राह्मणी अपने पुत्र को पेड़ की छांव में सुला कर पास ही के जलाशय से पानी भरने जा रही थी। जाते हुए वह अपने पति से बोल कर गई थी कि वह यहीं रहकर अपने पुत्र का ख्याल रखें। कहीं नेवला उनके पुत्र को नुकसान ना पहुंचा दें।
पत्नी के चले जाने के बाद देव शर्मा यह सोचकर निकल गया कि नेवले और उसके पुत्र में गहरी मित्रता है तो नेवला उनके पुत्र को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। यह विचार करके देव शर्मा नेवले और पुत्र को पेड़ की छांव में छोड़कर भिक्षा लेने निकल गया।
थोड़ी देर बाद पेड़ के पास बने एक बिल में से एक काला नाग बाहर आया। नेवले ने उसे देख लिया। यह सोच कर कि कहीं नाग उसके मित्र को नुकसान ना पहुंचा दे नेवला उस सांप पर टूट पड़ा। नेवला खुद क्षत-विक्षत होकर भी उस साप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।
अब नेवला उसी और चल पड़ा जिस और देव शर्मा की पत्नी जल भरने गई हुई थी। जब ब्राह्मणी ने नेवले को क्षत-विक्षत और खून से लथपथ देखा तो उसके मन में आशंका हुई की कहीं नेवले ने उसके पुत्र की हत्या ना कर दी हो।
यह विचार आते ही ब्राह्मणी को क्रोध आया एवं क्रोध में उसने अपने सर पर रखें जल से भरे पात्र को नेवले के ऊपर फेंक दिया नेवला यह वार सह नहीं पाया और उसके प्राण पखेरू हो गए। तत्पश्चात ब्राह्मणी भागती हुई वृक्ष के पास पहुंची तो उसने पाया की उसका पुत्र शांति से सो रहा था और कुछ दूर एक बड़ा सा सांप मरा पड़ा था।
तभी ब्राह्मणी को सारी बात का ज्ञान हुआ। उसका ह्रदय पश्चाताप के कारण फटा जा रहा था और वह विलाप करती हुई अपने पुत्र के पास बैठ गई। इसी बीच देव शर्मा भी वहां पहुंच गया और उसने अपनी पत्नी को विलाप करते हुए देखा तो उसका मन भी सशंकित हो गया किंतु अपने पुत्र को सही सलामत देखकर उसका मन शांत हो गया।
उस समय ब्राह्मण देवशर्मा भी वहां पर आया। उस जगह पर उसने अपनी पत्नी को रोते हुए देखा तो उसका मन भी सशंकित हो गया। किन्तु पुत्र को सही सलामत सोते हुए देखा तो उसका मन शांत हुआ।
ब्राह्मणी ने विलाप करते करते नेवले की मृत्यु का समाचार सुनाया और कहा “अगर तुम मेरी बात मान कर यहीं रुक जाते तो यह घटना घटित नहीं होती।” पर तुमने मेरा कहना नहीं माना जिसका परिणाम यह हुआ है।
शिक्षा: बिना विचार किए कोई कार्य नहीं करना चाहिए वरना बाद में पश्चाताप के सिवाय कुछ नहीं होता।
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