शूर्पणखा की कहानी (रामायण की कहानी) | Shurpnakha ki Kahani Ramayan Ki Kahani
ऋषि विश्वा मुनि के 3 पुत्र और एक पुत्री थी। जिनमें से रावण सबसे बड़ा पुत्र, इसके पश्चात कुंभकरण, तत्पश्चात शूर्पणखा और इसके पश्चात विभीषण जी थे। इस लेख में हम शूर्पणखा की कहानी बताने जा रहे हैं।
शूर्पणखा का इसका मतलब होता है, सूप अर्थात सूप की तरह नाख़ून, जिसकी वजह से उसका नाम शूर्पणखा रखा गया था।
शूर्पणखा ने एक दैत्य वंश के राजा से विवाह किया था, उसके पति का नाम विद्यूज था। परंतु यह बात रावण को बिल्कुल भी गवारा नहीं थी, क्योंकि दैत्य राक्षस के पुराने शत्रु हुआ करते थे। परंतु शूर्पणखा ने बिना किसी को बताए विद्युत के साथ प्रेम विवाह कर लिया था।
जब इस बात का पता रावण को चला तो वह शूर्पणखा के पति को मारने के लिए निकल पड़ा परंतु मंदोदरी के समझाने पर रावण का गुस्सा शांत हो गया और इसी के चलते दानव को रावण ने अपना रिश्तेदार बना लिया। रावण बहुत ही अधिक बलशाली था, इसीलिए वह पूरी सृष्टि को अपने अधीन करना चाहता था।
कुछ वर्षों पश्चात एक समय की बात है, जब रावण दैत्य के नगर में जा पहुंचा और वहां पर दानव से युद्ध करते हुए रावण के हाथों शूर्पणखा के पति की मृत्यु हो गई। युद्ध समाप्त होते ही जब रावण लंका वापस पहुंचा तो उसने अपनी बहन को सारी बात बताई, जिस पर रावण की बहन ने अपने भाई को बहुत ही बुरा भला कहा।
परंतु रावण ने यह बताया कि उसने जानबूझकर उसके पति का वध नहीं किया है, वह अचानक से युद्ध में बीच में आ गया था, जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई और बहुत अधिक मनाने के पश्चात शूर्पणखा इस बात को मानी और कुछ समय पश्चात ही अपनी बहन को रहने के लिए अपनी मौसी के लड़कों के पास जिनका नाम खर और दूषण था, वहां पर रहने के लिए दंडक वन में भेज दिया गया था।
इसके कुछ समय पश्चात जब राम, लक्ष्मण और सीता जी वनवास काटने वन में पहुंच गए थे, उस समय की बात है एक दिन दिन के समय में शूर्पणखा राम और लक्ष्मण की कुटिया पर जा पहुंची और भगवान राम के सामने उसने विवाह का प्रस्ताव रख दिया।
परंतु भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, जिसकी वजह से उन्होंने कुछ विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसके पश्चात वह छोटे भाई लक्ष्मण के पास जा पहुंची। जब लक्ष्मण जी ने भी विवाह करने से मना कर दिया तो उसने सीता जी को मारने के बारे में सोचा।
उसने यह विधि सोची कि अगर सीता जी को मार दिया जाए तो वह उससे विवाह करने के लिए मान जाएंगे। इसीलिए जैसे ही शूर्पणखा सीता माता को मारने के लिए आगे बढ़ती है, इतने में ही लक्ष्मण जी आगे आकर उसकी नाक और कान दोनों ही काट देते हैं, जिसके पश्चात वह वहां से भाग जाती है और अपने भाई खर और दूषण के पास जा पहुंचती है।
इसके पश्चात खर दूषण अपनी बहन की अपमान का बदला लेने के लिए राम और लक्ष्मण की कुटिया में जा पहुंचते हैं। युद्ध करते समय दोनों भाई युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। इसके पश्चात वह सहायता के लिए रावण के पास लंका में जा पहुंचती है, जहां से लंका कांड की शुरुआत होती है।