श्रीराम की विजय (रामायण की कहानी) | Shri Ram Ki Vijay Ramayan Ki Kahani
श्री राम की विजय असत्य पर सत्य की जीत है। इसी के आधार पर रामायण की कहानी का निर्माण हुआ है। रावण के अत्याचार से प्रजा को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया और असत्य पर सत्य की जीत भी हुई।
रामायण की कहानी में जब एक-एक करके सभी योद्धा मारे गए तब रावण अकेला रह गया, इसके विपरीत विभीषण जी श्री राम के साथ जा मिले। क्योंकि रावण ने उन्हें धक्के मार कर अपने राज्य से निकाल दिया था और विभीषण जानते थे कि श्री राम भगवान विष्णु का अवतार है।
इसीलिए विभीषण ने रावण को सलाह दी कि वह श्रीराम से क्षमा मांग लें अन्यथा बहुत ही बुरा अंत होगा और वही हुआ। विभीषण के द्वारा श्री राम को लंका के सभी प्रकार के भेद प्राप्त हो गए, जिसके पश्चात रावण का अंत हो गया था।
बताया जाता है रावण कि 10 सिर थे और यह बात सत्य भी है, जब श्रीराम ने रावण के सिर पर धनुष-बाण से वार किया तो उसका सिर कट गया परंतु उसके पश्चात नया सिर उत्पन्न हो जाता, जिसके बाद श्री राम भगवान असमंजस में पड़ गए।
विभीषण ने उन्हें यह बात बताई कि अगर आप रावण के पेट पर वार करेंगे तो रावण का अंत निश्चय ही हो जाएगा क्योंकि रावण के पेट में एक ऐसा मटका है, जिसके टूटते ही रावण का अंत निश्चित है और श्री राम ने ऐसा ही किया। इसके पश्चात रावण का अंत हुआ और असत्य पर सत्य की जीत हुई।