भगवान राम ने हनुमान को दिया मृत्युदंड (रामायण की कहानी) | Hanuman ko Mrityudand Ramayan Ki Kahani
यह प्रसंग उस समय का है जिस समय भगवान राम का राज्य अभिषेक हो रहा था। उसी समय हनुमान जी से एक गलती हो गई, जिसकी वजह से श्री राम भगवान ने अपने परम भक्त को मृत्यु दंड देना ही उचित समझा। परंतु भगवान श्री राम की कृपा से हनुमान जी का बाल भी बांका नहीं हुआ।
जिस समय भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे और समय पूरे धूमधाम के साथ भगवान श्रीराम का स्वागत किया गया और उनका राज्याभिषेक भी किया गया। इस उत्सव में सभी देवी देवता, गुरु जन, लंका के मित्र, अनुचर इत्यादि सभी लोग शामिल हुए थे।
उस समय वहां पर देव ऋषि नारद जी को भी आमंत्रित किया गया था। जब वह वहां पर पहुंचे तो उन्होंने हनुमान जी को आदेश दिया कि वह गुरु विश्वामित्र जी को छोड़कर सभी गुरुजनों और साधु संत का आशीर्वाद प्राप्त करें और हनुमान जी ने देव ऋषि का आदेश मान लिया और इसके बाद स्वयं नारद मुनि ने विश्वामित्र के पास जाकर उन्हें हनुमान जी की ओर से प्रणाम किया और आशीर्वाद नहीं देने की बात बताकर उन्हें भड़का भी दिया।
जैसे ही देव ऋषि नारद जी की बात विश्वामित्र जी ने सुनी उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने स्वयं का अपमान समझा और तुरंत भगवान श्री राम के पास गए और कहा कि हनुमान को मृत्युदंड दिया जाए। जैसा कि आप जानते ही हैं कि विश्वामित्र जी श्री राम प्रभु के गुरु थे, इसी वजह से वह उनकी कोई भी बात नहीं टाल सकते थे।
इसीलिए उन्होंने हनुमान जी को मृत्युदंड देने का आदेश दे दिया। जैसे तैसे दुखी मन से श्री राम भगवान ने हनुमान पर दुखी होकर बाण चलाने शुरू किए। हालांकि इस दौरान हनुमान जी बिल्कुल चुप रहे और श्रीराम का नाम जपते रहे और दूसरी तरफ बाण चल रहे थे। परंतु उनका बाल भी बांका नहीं हुआ, उन्हें जरा सी चोट भी नहीं आई।
इसके पश्चात विश्वामित्र जी ने श्री राम भगवान को ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने का आदेश दिया, जिस पर विवश होकर श्री राम भगवान को हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र चलाना पड़ा। परंतु आश्चर्य की बात यह हुई कि राम का नाम जप करते हुए हनुमान को कुछ भी नहीं हुआ और वह पूरी तरह से सुरक्षित रहे।
जब इस सब को देव ऋषि नारद जी ने देखा तो वह बहुत ही शर्मिंदा हुए और अपने कार्य पर पछताने लगे। इसके बाद उन्होंने हनुमान की भक्ति की प्रशंसा की और स्वयं जाकर विश्वामित्र जी को पूरी बात बताई और अपनी भूल के लिए क्षमा भी मांगी।
दूसरी तरफ ब्रह्मास्त्र हनुमान जी का बाल भी बांका नहीं कर पाया और हनुमान जी सुरक्षित रहे। इस पर भगवान श्री राम भावुक हो गए और अपने प्रिय भक्तों को अमरता का वरदान दिया और गले लगा लिया।