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गणेश जी की खीर वाली कहानी

नमस्कार दोस्तों कहानी के बढ़ते क्रम में आपको आज गणेश जी की खीर वाली कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं कि कैसे गणेश जी के लिए एक दुखियारी महिला खीर बनाती है। यह कहानी सुनकर आप जरूर भावुक हो जाएंगे। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़ें।

एक बार एक शहर में एक बुजुर्ग महिला रहा करती थी। वह बहुत गरीब थी। उसका एक बेटा था, जिसकी शादी हो चुकी थी। वह बुजुर्ग महिला भगवान गणेश जी की बहुत बड़ी भक्त थी। वह बुजुर्ग महिला हर रोज गणेश भगवान की पूजा किया करती थी। गणेश भगवान भी उस बुजुर्ग महिला की भक्ति को देखकर बहुत प्रसन्न थे।

एक बार भगवान गणेश जी एक छोटे से बच्चे का रूप लेकर धरती में उस बुजुर्ग महिला के जगह पर आए, जहां पर वह निवास करती थी। वहां आकर भगवान श्री गणेश ने अपने एक हाथ में एक चिमटी की आकार की वस्तु में चावल को ले लिया और दूसरे हाथ में एक चम्मच हुए दूध ले लिया और चारों तरफ घूमने लगे और दूध और चावल देखकर सभी से कहने लगे की मेरे लिए थोड़ी सी खीर बना दो।

Ganesha ji Ki Kheer Wali Kahani 

लेकिन बालक रूप में होने के कारण और उनके एक हाथ में चिमटी में चावल के दाने को देखकर दूसरे हाथ में एक चम्मच में दूध को देखकर सभी लोग उन पर हंस रहे थे और कोई भी उनके लिए खीर नहीं बना रहा था लेकिन वहीं पर एक बुजुर्ग महिला यह सब देख रही थी और वह बालक के रूप भी गणेश जी को पहचान गई थी।

उन्होंने भगवान श्री गणेश जी को, जो बच्चे के रूप में थे अपने पास बुलाया और कहने लगी,” लाओ बेटा मैं तुम्हारे लिए खीर बना देती हूं”। जिसके लिए भगवान श्री गणेश जी को अपने घर पर ले गई और अंदर जाकर वह एक छोटे से बर्तन को चूल्हे में चढ़ाने लगी यह देख कर भगवान श्री गणेश जी ने वह बुजुर्ग महिला से कहा कि,”अम्मा छोटे बर्तन में नहीं बड़े बर्तन में खीर बनाओ।”

जिसके बाद उस बुजुर्ग महिला ने गणेश जी की आज्ञा का पालन करते हुए बड़े बर्तन को चूल्हे पर रख दिया और खीर बनाने के लिए उसमें गणेश जी के द्वारा दिए हुए चम्मच में दूध और चिमटी में चावल को जैसे ही उस बड़े बर्तन में डाला तो वह बड़ा बर्तन ऊपर तक भर गया। यह देखकर वह बुजुर्ग महिला बहुत आश्चर्य चकित हो गई।

और तभी भगवान गणेश जी ने कहा कि,”अम्मा तुम मेरे लिए खीर बनाओ, मैं बहुत थक चुका हूं। तब तक मैं स्नान करके आता हूं।” जिसके बाद भगवान श्री गणेश जी स्नान करने के लिए चले जाते हैं। तभी वहां पर उस बुजुर्ग महिला की नाती पोते आते हैं और अपनी दादी को खीर बना कर देख खीर को खाने के लिए जिद करने लगते हैं।

जिसको देखकर वह बुजुर्ग महिला एक कटोरी में थोड़ी सी खीर को निकालकर चूल्हे के पास रख देती हैं और कहती हैं श्री गणेश जी मैं आपको भोग लगा रही हूं और फिर वह बुजुर्ग महिला एक कटोरी में खीर निकालकर अपने नाती पति को दे देती है लेकिन तो पड़ोस में रहने वाली पड़ोसन अपनी छत में बैठकर सब कुछ देख रही होती है ।

जिसको देखकर और बुजुर्ग महिला डर जाती है और यह सोचने लगती है कि अगर इसने भगवान श्री गणेश जी को बता दिया तो वह मेरे ऊपर क्रोधित हो जाएंगे जिसके बाद वह अपनी पड़ोस में रहने वाली इस महिला को भी एक कटोरी में खीर निकाल कर दे देती है लेकिन काफी देर होने के बाद भी भगवान श्री गणेश जी स्नान करके नहीं आते हैं ।

जिसके बाद बुजुर्ग महिला की बेटे की पत्नी कोने में खड़े होकर चुपचाप सब कुछ देख रही होती है और मौका पाते ही जब वह बुजुर्ग महिला कुछ देर के लिए खीर के पास से इधर-उधर होती है। तब वह एक कटोरी में खीर निकालकर खा जाती है और उस कटोरी को छुपा कर रख देती है, जिसके बाद वहां से चली जाती है और जब वह बुजुर्ग महिला वापस आती है वह कुछ भी जान नहीं पाती है।

और वापस से खीर के पास आकर बैठ जाती है। धीरे-धीरे काफी समय हो जाने के बाद भी भगवान श्री गणेश नहीं आते हैं। काफी ज्यादा समय हो जाने के कारण उस बुजुर्ग महिला को भी भूख लगने लगती है जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला भी भगवान श्री गणेश जी का इंतजार करके थक जाती है और तभी वह एक कटोरी में खीर निकालकर एक बार फिर से भगवान श्री गणेश जी को भोग लगाती है ।

और उसके बाद खुद भी वह बुजुर्ग महिला एक कटोरी में खीर निकाल कर खाने लगती है। तभी वहां पर अचानक से श्री गणेश भगवान जी आ जाते हैं। गणेश भगवान को देखकर वह बुजुर्ग महिला आश्चर्यचकित हो जाती है और तभी भगवान श्री गणेश जी से कहने लगती है,” आओ बेटा, खीर खा लो। मैं बहुत देर से तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी।”

जिसके बाद भगवान श्री गणेश जी उस बुजुर्ग महिला से कहते हैं,”अम्मा मैंने तो खीर खा चुका हूं। अब तो मेरा इतना पेट भर गया है कि मैं कुछ भी नहीं खा सकता।” यह सुनकर वह बुजुर्ग महिला भगवान श्री गणेश जी से कहती है कि,” गणेश तुमने खीर कब खाली? मैंने तो तुमको नहीं खिलाई”।

तभी भगवान श्री गणेश जी उस बुजुर्ग महिला से कहते हैं कि अब मां जब तुमने अपने नाती पोतों को खीर खिलाई थी और जब तुमने अपने पड़ोस में रहने वाली उस महिला को खीर खिलाई थी और जब तुम्हारी बेटे की पत्नी ने खीर खाई थी तब मैंने खीर खा ली थी।

गणेश जी की यह बात सुनकर बुजुर्ग महिला आश्चर्यचकित हो जाती है और कहने लगती है गणेश जी आपको तो सब कुछ पता है लेकिन मैंने अपनी बहू को खीर नहीं खिलाई। मैंने सिर्फ अपने नाती पोते और उस पड़ोस वाली महिला को खिलाई। जिसके बाद भगवान श्री गणेश जी उस बुजुर्ग महिला से कहते हैं कि तुम्हारे बेटे की पत्नी ने भी खीर खाई है, पर यह तुमको पता नहीं है। अगर तुम उसका सबूत देखना चाहती हो तो, तुम अपने बेड के नीचे देखो खीर का कटोरा रखा होगा।

वह बुजुर्ग महिला यह देखकर स्तब्ध हो जाती है और भगवान श्री गणेश जी से माफी मांगने लगती है और कहती है आप यह बात किसी को मत बताइएगा। उसके बाद यह कहते हैं कि ठीक है लेकिन तभी वह बुजुर्ग महिला भगवान श्री गणेश जी से कहती है,” मैंने जो इतनी सारी खीर बनाई है, अब यह खीर कौन खाएगा? आपका तो पेट भर चुका है। तभी भगवान श्री गणेश जी कहते हैं,”अम्मा तुम अपने पूरे इलाके में खीर को बटवा दो।”

जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला अपने पूरे नगर में सभी को बुला बुला कर खीर देने लगती है लेकिन तब भी वह खीर का बर्तन खाली नहीं होता है। जितना वह बर्तन खाली होता वापस से वह दोबारा से भर जाता। जब यह बात वहां के राजा को पता लगी, तो उसने तुरंत उस बुजुर्ग महिला को खीर के बर्तन के सहित अपने दरबार में बुला लिया और उससे वह खीर का बना हुआ पूरा बर्तन ले लिया।

जैसे ही राजा ने उस बुजुर्ग महिला से खीर का बर्तन लिया तब वह खीर कीड़े मकोड़ों में तब्दील हो गई। जिसको देखकर राजा ने तुरंत उस खीर से भरे बर्तन को वापस उस बुजुर्ग महिला को दे दिया लेकिन खीर खत्म ना होने के कारण वह बुजुर्ग महिला दुखी होकर भगवान श्री गणेश जी के पास गई और कहने लगी,” गणेश जी मैं खीर को कैसे ख़तम करूँ।

जिसके बाद गणेश जी ने उस बुजुर्ग महिला से कहा कि,” अम्मा तुम इसको अपने इसी मकान में एक गड्ढा करके दफना दो और कल जब सुबह जल्दी उठकर उसको खुद वापस निकालना तो खीर की जगह तुमको बहुत सारा धन मिलेगा।

जिसके बाद गणेश जी उस बुजुर्ग महिला के घर में अपने पैरों से एक प्रहार करते हैं, जिससे उस बुजुर्ग महिला का घर एक बहुत बड़े महल के रूप में बदल जाता है और ऐसा कहकर गणेश जी वहां से चले जाते हैं। अगले दिन जब सुबह उस बुजुर्ग महिला के बेटे की बहू ने गड्ढा खोदकर वापस से उस खीर के बर्तन को निकाला।

तो उसको वहां पर कुछ नहीं मिला, जिसके बाद वह उस बुजुर्ग महिला से कहने लगे कि गणेश जी ने जो तुम्हारे साथ मजाक किया है। यहां तो कुछ भी नहीं है। जिसके बाद में बुजुर्ग महिला खुद ही एक सुई लेकर जमीन में देखने लगती है। थोड़ी देर में उसको बहुत सारे सोने के सिक्के और धन से भरा दो बड़े-बड़े मटके दिखाई देते हैं। जिसको वह निकाल लेती है और भगवान श्री गणेश जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती है ।

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