नमस्कार दोस्तों, कहानी की श्रृंखला में आगे बढ़ते हुए आज हम आपको दशा माता की कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं। इस कहानी में दशा माता जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। आप इस कहानी को अंत तक जरूर पढ़िएगा।
बहुत समय पहले एक राज्य में एक बहुत बड़ा राजा रहा करता था, जिसका नाम नल था। बहुत ही सुंदर बलवान और बुद्धिमान था। प्रजा उसके शासनकाल में बहुत खुश थी। वह अपने राजा के कार्य से बहुत प्रसन्न थे और राजा नल के राज्य में सभी लोग एक दूसरे के साथ मिलकर रहा करते थे। राजा का विवाह एक बहुत ही अमीर राजा की बेटी के हुआ था, जिसका नाम दमयंती था। शादी करने के कुछ समय बाद ही राजा को दो बेटों की प्राप्ति हुई थी।
राजा अपने दोनो बेटों से बहुत प्यार करता था। एक दिन जब दशा माता की पूजा करने का दिन था। यह पूजा होली के दस दिन बाद चैत्र कृष्ण की दशमी तिथि पर की जाती है तो उस दिन एक महिला राजा के महल में दशा का डोरा बेचने के लिए आई। उसने रानी से कहा कि रानी साहिबा आप यह दशा का डोरा ले लीजिए और आप भी दशा माता की पूजा विधि विधान से कीजिए।
तभी महल की सारी नौकरानियों ने रानी को इस पूजा के बारे में बताया कि आज के दिन सभी शादीशुदा औरतें दशा माता की पूजा करती है और उनके डोरे को अपने गले में धारण करती हैं। जिसके बाद रानी ने भी दशा माता की पूजा पूरी विधि विधान से किया और डोरे को अपने गले में धारण कर लिया। जब एक दिन रानी अपने कमरे में बैठी थी तब राजा नल की नजर उस डोरे पर पड़ी, जिसके बाद राजा नल ने बिना कुछ सोचे समझे रानी के गले से उस दशा माता के डोरे को तोड़कर जमीन में फेंक दिया।
जिसके बाद रानी ने राजा नल से कहा कि यह आपने क्या कर दिया। यह तो बहुत बड़ा अपराध कर दिया है, आपने दशा माता का अपमान किया है। आपको नहीं पता है कि दशामाता आपके इस अपराध से कितना क्रोधित हुई होगी, पता नहीं आपको इसका क्या दंड देगी। एक दिन राजा नल जब अपने महल में बहुत गहरी नींद में सो रहे थे तभी उनके सपने में एक बुढ़िया आई, जो माता दशा थी। उन्होंने राजा नल से कहा कि तुमने मेरा अपमान किया है, जिसके कारण अब तुमको इसका दंड मिलता है कि आज से तुम अपना सारा राजकाज सारा धन सब खो दोगे।
थोड़ी ही देर में ऐसा बोलकर वह माता वहां से चली गई। दशा माता की कही हुई बात कुछ ही दिनों में सच हो गई और देखते ही देखते राजा अपना सब कुछ खो दिया और रास्ते में आ गया। जिसके बाद राजा ने अपनी पत्नी सही कहा कि तुम अपने बच्चों को लेकर अपने पिताजी के घर चली जाओ। मैं कुछ ना कुछ करके इस राज्य को जब वापस हासिल कर लूंगा तब तुमको बुला लूंगा।
जिसके बाद रानी ने कहा नहीं महाराज मैं आपके साथ ही रहूंगी, आप जहां जहां जाएंगे। मैं आपके साथ वहां जाऊंगी, मैं आपका पीछा नहीं छोडूंगी, मैं आपकी पत्नी हूं। राजा ने अपने बीवी बच्चों को लेकर आगे की ओर चल दिया। कुछ दिन यात्रा करने के पश्चात वे लोग राजा भील के देश में पहुंच गए। जहां पर पहुंचकर राजा नल ने अपने दोनों बच्चों को उनको दे दिया और कहा कि मैं कुछ दिनों में आकर इन दोनों को आपसे ले जाऊंगा तब तक आप इनका ध्यान रखें।
फिर राजा नल अपनी पत्नी को लेकर चले गए। थोड़ी दूर चलने के पश्चात जब वह अपने मित्र के घर के पास पहुंचे तब उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि आज हम लोग अपने मित्र के यहां आराम करेंगे। जिसके बाद राजा नल और उनकी पत्नी दोनों मित्र के घर पहुंच गए, जहां पर राजा नल के मित्र ने दोनों का बहुत अच्छे ढंग से स्वागत किया और खाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन दिए।
जिसके बाद राजा नल और उनकी पत्नी ने खाना खा लिया और फिर राजा के दोस्त ने दोनों को सोने के लिए एक ऐसा कमरा दिया, जिसमें एक बहुत ही सुंदर सी मोर की आकृति बनी हुई थी। उसमें एक खूंटी लगी हुई थी, जो दिखने में बहुत सुंदर लग रही थी और उसी में राजा नल के मित्र की पत्नी का हार टंगा का हुआ था, जो हीरो का था।
जब राजा नल की पत्नी की आंख रात को अचानक से खुल गई तब उन्होंने देखा कि हीरे के हार को वह मोर की बनी तस्वीर धीरे-धीरे खा रही है, जिसको देखकर वह आश्चर्यचकित हो गई और उन्होंने तुरंत राजा नल को उठाकर दिखाया। जिसके बाद राजा नल ने रात में ही अपने मित्र के घर से जाने का फैसला ले लिया। ऐसा इसलिए करा कि उनके दोस्त को ऐसा ना लगे कि उन्होंने चोरी की है। जिसके कारण वह दोनों वहां से निकल गए। फिर कुछ दूर चलने के बाद राजा नल अपनी बहन के शहर में पहुंच गया।
जहां पर उनकी बहन ने अपने भैया भाभी को खाने के लिए रोटी दी, जिसको राजा नल ने खा लिया। लेकिन राजा की पत्नी ने उस रोटी को जमीन में ही दफना दिया और फिर वहां से भी आगे चलती है। कुछ दूर चलने के बाद रास्ते में एक बहुत बड़ी नदी मिली, जहां पर राजा ने अपनी पत्नी से कहा कि नदी के अंदर कुछ मछलियां होगी। जिसको मैं निकाल दे रहा हूं तुम इनको पकाओ। जब तक मैं कुछ जुगाड़ करके इनको रखने के लिए कुछ लेकर आता हूं।
जिसके बाद राजा इधर उधर भटकने के बाद वह एक ऐसे गांव में पहुंच गए, जहां पर एक बहुत ही अमीर व्यक्ति भंडारा करा रहा था। राजा नल ने उस भंडारे से खाने के लिए कुछ सामान ले लिया। तब राजा नल वापस अपनी पत्नी के पास आ रहे थे तभी अचानक से चील ने उनके हाथ से भंडारे के खाने को गिरा दिया और वापस चली गई। उधर जहां राजा की पत्नी थी, वहां पर भी एक अजीबोगरीब घटना हुई। सारी मछलियां अचानक से जीवित होकर वापस से नदी में कूद गई।
जिसके बाद जब राजा अपनी पत्नी के पास पहुंचा तब वहां पर देख कर उनको लगा कि मछली उनकी पत्नी ने खा ली है, जिसके बाद वे दोनों नदी पार करके आगे चले गए। जिसके बाद राजा नल और उनकी पत्नी एक ऐसे स्थान पर पहुंच गए, जो उनकी पत्नी का शहर था। जहां पर उनके माता-पिता रहते थे। वहां पहुंचकर राजा ने कहा कि हम लोग अपनी पहचान को छुपाकर यहां पर रहेंगे। तुम अपने पिताजी के महल में जाओ, वहां पर नौकरानी का काम करने लगे और वहां पर तेल बेचने का काम करने लगूंगा।
जिससे वह दोनों अलग-अलग चले गए। जब एक दिन राजा की पत्नी अपने पिताजी के घर में नौकरानी का काम कर रही थी तभी राजा नल की पत्नी की मां ने अपनी बेटी को एक निशानी के जरिए पहचान लिया, जिसके बाद राजा नल की पत्नी ने अपनी मां को अपने और अपने पति के बारे में बता दिया। जिसके बाद राजा नल की पत्नी की मां ने राजा नल को अपने दरबार में बुलाया और उनको बहुत सारे नए-नए कपड़े दिए और उनका आदर सम्मान किया।
फिर राजा नल की पत्नी ने एक बार फिर से दशा माता की पूजा की और उपवास रखा, जिसके बाद माता ने उनको क्षमा कर दिया। कुछ ही दिनों में सब कुछ ठीक हो गया। तब राजा नल और उनकी पत्नी वहां से वापस आने लगे। तब राजा नल की पत्नी के पिता जी ने राजा नल को बहुत सारा धन और बहुत सारे घोड़े तोहफे के रुप में दिए। जिसके बाद वह दोनों वापस आते समय उसी स्थान से वापस आए, जहां पर उन लोगों ने आते समय रुक रुक कर आए थे।
सबसे पहले उस नदी के पास पहुंचे, जहां पर वह मछलियां वापस नदी में चली गई थी और फिर अपनी बहन के नगर में पहुंचे, जहां पर राजा नल की पत्नी ने राजा नल की बहन की दी हुई रोटी को दफनाया था। वहां पहुंचकर रानी ने उस रोटी को जमीन से निकाला तो वह रोटी सोने की और उसके ऊपर एक चांदी की कटोरी के रूप में बाहर निकली।
फिर वह दोनों राजा भील के राज्य में पहुंच गए, जहां पर उन्होंने अपने बच्चों को उनसे वापस ले लिया और वापस अपने राज्य पहुंचकर फिर से अपना जीवन खुशी-खुशी व्यतीत करना शुरू कर दिया।
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