धरती माता की कहानी
नमस्कार दोस्तों, कहानी की श्रृंखला में आज हम आपको धरती माता की कहानी के विषय मे विस्तार से बताएंगे कि कैसे एक भाई अपनी ही बहन से विवाह करने की योजना बना लेता है, जिसके बाद जो अनर्थ होता है।
नमस्कार दोस्तों, कहानी की श्रृंखला में आज हम आपको धरती माता की कहानी के विषय मे विस्तार से बताएंगे कि कैसे एक भाई अपनी ही बहन से विवाह करने की योजना बना लेता है, जिसके बाद जो अनर्थ होता है।
नमस्कार दोस्तों, कहानी की इस श्रृंखला में आज हम आपको हरदौल की कहानी के विषय में विस्तार से बताएंगे। आप इस कहानी को अंत तक पढ़िएगा। यह कहानी बुंदेलखंड की है और चर्चित कहानियों में से एक है। प्राचीन समय
एक शहर में एक बहुत ही बुजुर्ग महिला रहती थी, वह महिला सभी से मिलजुल कर रहा करती थी और उस बुजुर्ग महिला ने अपने पूरे जीवन में हर भगवान की आराधना और बहुत सारा दान और दक्षिणा कर रखी
एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी दुख भरी दास्तां लेकर राक्षसों के दानव के पास गया और कहने लगा कि आप जिस हिरनी को देख रहे हैं, वह मेरी पहली पत्नी है। जो मुझसे बहुत अत्यधिक प्रेम करती थी और मेरी सारी
सिंदबाज ने राज्य में सभी को बुलाया, अपनी सातवीं जहाजी की यात्रा के बारे में बताना शुरू कर दिया। सिंदबाज ने कहा कि मैंने अपनी छठी जहाजी यात्रा करने के दौरान मैंने जो कुछ भी झेला है, उसके बाद मैंने
एक शहर में एक बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय राजा रहा करता था, जिसका नाम हारू राशिद था। प्रजा में सभी लोग उसको बहुत पसंद करते थे और उसके राज्य काल में बहुत खुश थे। उसके राज्य में सभी बहुत
एक शहर में एक बहुत ही अमीर व्यक्ति रहा करता था, जो व्यापार करने के लिए बड़े-बड़े देश विदेशों में जाया करता था। उसका एक लड़का भी था, जिसका नाम उसने अब्दुल्ला रखा था। उस व्यापारी ने अपने लड़के के
एक बार एक शहर में एक बहुत ही अमीर व्यापारी रहता था, जो अनाज का कारोबार किया करता था। कारोबार करने के लिए वह हमेशा कई विदेशी यात्राओं पर जाया करता था। वहां पर अपने अनाज को बेचकर बहुत सारा
पुण्य किसका? (बेताल पच्चीसी तीसरी कहानी) सनातन धर्म में पुराणिक कथाओं में विक्रम बेताल की कहानियां को काफी ज्यादा महत्व दिया जाता है। विक्रम बेताल की कहानियां काफी ज्यादा प्रचलित है। राजा विक्रम बेताल को अपनी पीठ पर बैठा कर
एक नगर का नाम रूमा था। रूमा नगर में एक राजा गिरीश है, जिनका नगर में बहुत ही सम्मान होता था। उन्हें उनके कार्य के लिए जाना जाता था। कुछ दिनों के बाद वहां के राजा गिरीश को कुष्ठ रोग