शत्रु का शत्रु मित्र (The Brahmin, Thief and Demon Story In Hindi)
ब्राह्मण और राक्षस की कहानी: प्राचीन समय में एक गांव में द्रोण नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह भीक्षा मांग कर अपनी आजीविका चलाता था। उसके पास वातावरण के अनुरूप पहनने के लिए कपड़े भी नहीं थे। एक बार एक यजमान ने उस ब्राह्मण पर दया करके उसे एक बैलों की जोड़ी दे दी।
वह ब्राह्मण बैलों का पेट भरने के लिए अत्यधिक यत्न करता था। आसपास के गांव से घी, तेल, अनाज आदि मांग कर उन बैलों की भूख को शांत करता था।
बैल ब्राह्मण द्वारा दिए गए भोजन को ग्रहण करके काफी मोटे ताजे हो गए। जब एक चोर ने उन बैलों को देखा तो उसके मन में ख्याल आया कि क्यों ना इन बैलों की जोड़ी को मैं इस ब्राह्मण से चुराकर भगा लूँ। वह इसी निश्चय के साथ अपने घर से ब्राह्मण के घर की ओर चला। बीच रास्ते में उसे एक घने लंबे बाल, लाल आखें, लंबे लंबे दांत और लंबे चौड़े शरीर का एक अजीब व्यक्ति मिला।
चोर ने डरते हुए उससे पूछा “तुम कौन हो?”
उस अजीब शरीर वाले व्यक्ति ने कहा “मैं ब्रह्मराक्षस हूं। मैंने पिछले पांच-छह दिन से कुछ नहीं खाया है, इसलिए मैं आज ब्राह्मण को मारकर खाने वाला हूं।”
यह कहकर उसने चोर से पूछा “तुम कहां जा रहे हो?”
चोर ने कहा “मैं भी उसी ब्राह्मण के घर जा रहा हूं, जिसके घर तुम जा रहे हो। मैं वहां से उसके बैलों को चुराने के लिए जा रहा हूं।”
राक्षस ने कहा “हम दोनों की राह एक ही है, चलो हम साथ में चलते हैं।”
शाम के समय मौका मिलते ही दोनों ब्राह्मण के घर में चुपके से घुस गए और कही छिप गए।
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जब ब्राह्मण सो गया तो राक्षस उसे खाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा तो चोर ने कहा “मित्र पहले में इस ब्राह्मण के बैलों को चुरा लेता हूं, फिर तुम ब्राह्मण को खा लेना।”
राक्षस ने कहा “तुम जब बैल चुरावोगे तो कोई आवाज से ब्राह्मण जाग गया तो अनर्थ हो जाएगा। इसलिए पहले मैं ब्राह्मण को खा लेता हूं, फिर तुम बैलों को चुरा लेना।”
चोर ने कहा “जब तुम ब्राह्मण पर हमला करोगे, तब वह बच गया तो वह बैलों की रखवाली करने लगेगा जिससे मैं बैल चुरा नहीं पाऊंगा। इसलिए पहले मुझे अपना काम करने दो।
दोनों की इस कहासुनी के कारण ब्राह्मण जाग गया। ब्राह्मण को जगा हुआ देखकर चोर बोला “यह राक्षस तुम्हें खाने आया था, मैंने इससे तुम्हारी रक्षा की है।”
राक्षस बोला “यह आदमी तुम्हारे बैलों की जोड़ी को चुराने आया था। मैंने तेरे बैलों को इस जोर से बचाया है।”
जब तक दोनों अपनी बात ब्राह्मण के आगे पूरी करते तब तक ब्राह्मण सचेत होकर लाठी उठाकर अपनी रक्षा करने के लिए तैयार हो गया।
ब्राह्मण को इस प्रकार देखकर दोनों भाग गए।
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